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विकास दुबे के पुलिस के हाथ लगने से लेकर एनकाउंटर तक की ये है पूरी कहानी, इस तरह लाया जा रहा था यूपी
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मोस्ट वांटेड गैंगस्टर विकास दुबे एक दिन पहले सुबह 7.45 बजे उज्जैन के महाकाल मंदिर पहुंचा। मंदिर के पिछले हिस्से में स्थित शंख द्वार के सामने उसने एक दुकानदार से दर्शन व्यवस्था के बारे में पूछा। 250 रुपये की रसीद लेकर मंदिर में प्रवेश की व्यवस्था के बारे में दुकानदार ने बताया। फर्जी आइडी पर शुभम के नाम से रसीद बनवाई और मंदिर परिसर में प्रवेश कर गया।
विकास दुबे ने 7.52 बजे मंदिर के निर्गम द्वार पर लगे सीसीटीवी कैमरे में उसको देखा गया। प्रवेश के दौरान मंदिर के गार्ड को शक होने पर उसे पकड़कर पुलिस चौकी लाया गया। पहले तो उसने अपना नाम-पता गलत बताया, पुलिस ने सख्ती की तो पहचान उजागर कर दी। 8.45 बजे गिरफ्तार किया गया। सूत्रों का कहना है कि विकास ने मंदिर में दर्शन कर लिए थे।
विकास की पत्नी रिचा अपने बेटे के साथ लखनऊ में अपने मकान के पास से गुरुवार रात को स्थानीय लोगों की सूचना पर पकड़ी गई। लोगों ने रिचा और उसके बेटे को देखकर डायल 112 पर फोन किया था। इस बीच एसटीएफ की टीम भी वहां पहुंच गई और कृष्णा नगर पुलिस की मदद से उनको गिरफ्तार कर लिया। एसटीएफ उन्हें कानपुर ले गई।
यूपी पुलिस गुरुवार रात करीब 9:30 बजे विकास दुबे को लेकर सड़क मार्ग से यूपी के लिए चली।
रात 12:30 बजे यूपी और एमपी के रक्सा बॉर्डर पर तैनात पुलिस बल अलर्ट दिखी थी। यहां से झांसी पुलिस विकास दुबे को लेकर उरई की सीमा तक छोड़ी। रक्सा टोल पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे।
रात करीब 1:00 बजे शिवपुरी टोल प्लाजा से एसटीएफ विकास दुबे को लेकर निकली थी। विकास दुबे स्कार्पियो में बैठा है। शिवपुरी निकलने के बाद एसटीएफ टीम की लोकेशन नहीं मिल रहा था।
रात करीब एक बजे शिवपुरी से चलने के बाद भी 2:30 बजे तक विकास दुबे को लेकर आ रही एसटीएफ टीम रक्सा नहीं पहुंची थी, जबकि शिवपुरी से झांसी एक घंटे का रास्ता है। शिवपुरी से झांसी के बीच एक रास्ता दतिया की तरफ भी जाता है। सम्भावना जताई जा रहा थी कि एसटीएफ की टीम दतिया के रास्ते कानपुर की ओर गई थी।
झांसी में रात करीब 3:15 बजे रक्सा बार्डर से एसटीएफ की टीम विकास दुबे को लेकर कानपुर के लिए रवाना हुई थी। इस दौरान रक्सा टोल प्लाजा पर काफी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। इस दौरान सुरक्षा की दृष्टि से आवागमन बंद किया गया था। झांसी पुलिस यहां से विकास दुबे को उरई की सीमा तक छोड़ेगी। इस दौरान पुलिस ने मीडिया कर्मियों को भी आगे नहीं बढ़ने दिया।
सुबह करीब 4:45 बजे एसटीएफ की टीम उरई के एट टोल से विकास दुबे को लेकर निकली थी। एसटीएफ की छह गाड़ियां साथ में थीं। वहां से करीब सवा घंटे में कानपुर देहात के बारा टोल पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही थी।
एट टोल प्लाजा से करीब 42 किलोमीटर दूर जालौन जिले के आटा टोल प्लाजा से विकास दुबे को लेकर काफिला 5.20 बजे निकला था। करीब एक घंटे से हो रही तेज बारिश के बीच सुरक्षा को लेकर पुलिस फोर्स पानी में भीगते हुए डटे थे। आटा टोल से विकास दुबे के निकलने के बाद ही एट टोल से ट्रैफिक खोला गया था।
सुबह 6:28 3 गाड़ियों से एसटीएफ विकास दुबे को लेकर बारा टोल कानपुर देहात से कानपुर नगर की तरफ रवाना हुई थी। खबर मिल रही थी कि माती मुख्यालय से किसी दूसरे स्थान पर ले जा रहे थे।
अचानक खबर आई कि कानपुर में एसटीएफ की गाड़ी अनियंत्रित होकर पलट गई, गाड़ी में सवार पुलिस कर्मियों के घायल होने की सूचना है। इसी गाड़ी में विकास दुबे भी था।
गाड़ी पलटने के बाद मोस्टवांटेड विकास दुबे ने पिस्टल छीनकर गोली चलाई। एनकाउंटर में गंभीर रूप से घायल विकास को पुलिस अस्पताल लेकर गई। जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।