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रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया पर दर्ज किए गए मुकदमे क्यों हुए वापस? हाईकोर्ट ने योगी सरकार से मांगा जवाब
लखनऊ(Uttar Pradesh). इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने राज्य सरकार से पूर्व मंत्री व प्रतापगढ़ के कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लिए जाने का कारण पूछा है। कोर्ट ने कहा है कि अगर संतोषजनक कारण सामने नहीं आए तो अदालत स्वत: संज्ञान लेकर इस मामले का परीक्षण करेगी। इस मामले में भाजपा प्रदेश परिषद के सदस्य शिव प्रकाश मिश्र सेनानी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
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बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर राजा भैया के खिलाफ कुंडा से विधानसभा चुनाव लड़ चुके शिव प्रकाश मिश्र सेनानी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार द्वारा रघुराज प्रताप सिंह पर दर्ज मुकदमों को वापस लिए जाने पर आपत्ति जताई थी। गौरतलब है कि लम्बे समय तक बसपा में रहकर राजनीति करने वाले शिव प्रकाश मिश्र बीते वर्ष ही भाजपा में शामिल हुए हैं।
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भण्डारी व न्यायमूर्ति मनीष कुमार की पीठ ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। याची के अधिवक्ता एसएन सिंह रैकवार ने बताया कि याची राजा भैया के खिलाफ विधान सभा चुनाव में खड़ा हो चुका है और उसे जीवन का खतरा भी है।
अधिवक्ता एसएन सिंह ने हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा है कि याची ( शिव प्रकाश मिश्र) को सुरक्षा मिली हुई थी जिसकी अवधि समाप्त हो रही थी और याची ने इसे जारी रखे जाने के लिए प्रत्यावेदन भी दिया हुआ था पर उस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा था।
याचिका में याची की सुरक्षा बरकरार रख जाने के साथ ही राजा भैया के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लिए जाने का मुद्दा उठाया गया था। अदालत ने इस मामले में दलील सुनने के बाद कहा कि सरकारी अधिवक्ता सक्षम प्राधिकारियों से निर्देश प्राप्त कर यह बताएं कि निर्धारित अवधि में याची के प्रत्यावेदन पर निर्णय क्यों नहीं लिया गया।
कोर्ट ने कहा यदि राज्य सरकार की तरफ से इस मामले में संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है तो अदालत अवमाना का संज्ञान लेगी। याचिका में उठाए गए मुद्दे पर अदालत ने कहा कि अगर रघुराज प्रताप सिंह के खिलाफ दर्ज मुकदमें सरकार के इशारे पर वापस लिए गए हैं तो इसका कारण स्पष्ट किया जाए।
अदालत ने इस बिन्दु पर भी कहा कि अगर संतोषजनक कारण नहीं बताया जाता है तो अदालत इसका भी स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रकरण का परीक्षण करेगी। अदालत ने कहा कि आपराधिक मामलों को नरमी के साथ वापस लिए जाने के मामले का परीक्षण किए जाने की जरूरत है।
दूसरी ओर भाजपा नेता के द्वारा अपनी ही सरकार के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में इस तरह की याचिका दायर किए जाने के बाद तमाम तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं, राजनीतिक गलियारे में इसको लेकर अफवाहों का बाजार गर्म है।