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चीन ने कोरोना के बाद भारत में फैलाया एक और वायरस, दुनिया में इसकी भी नहीं है कोई दवा या वैक्सीन
हटके डेस्क: चीन ने दुनिया में कोरोना वायरस फैला दिया। इस वायरस की शुरुआत चीन के वुहान से हुई थी। जहां दुनिया के कई देशों ने इस वायरस को चीन द्वारा लैब में बनाए जाने की बात कही, वहीं चीन का कहना है कि ये वायरस चमगादड़ का मीट खाने से इंसानों में आया। कोरोना के कारण अभी तक दुनिया में कुल 38 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। जबकि मरने वालों का आंकड़ा जल्द 3 लाख पहुंच जाएगा। इस बीच अब भारत में चीन से आए एक नए वायरस ने आतंक मचा दिया है। भारत के असम राज्य में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू तेजी से फ़ैल रहा है। इसकी चपेट में आने से अभी तक सिर्फ असम में 29 सौ पालतू सूअरों की मौत हो गई है। इससे गरीब किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। कहा जा रहा है कि ये वायरस भी असम में चीन से ही आया है। तस्वीरों में देखें कैसे अफ्रीकन स्वाइन फ्लू ने इस राज्य को अपना शिकार बनाया है...
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असम के पशुपालन विभाग ने बताया कि अफ्रीकन स्वाइन फ्लू के कारण अभी तक 29 सौ सूअरों की मौत हो गई है। इस वायरस ने असम के छह जिलों के 310 गांव को अपनी चपेट में ले लिया है।
भारत के इस राज्य में हर साल आठ हजार करोड़ रुपए का व्यापार सूअर के मांस का होता है। ऐसे में इतने सूअरों की मौत से काफी नुकसान होगा।
साथ ही अब इस राज्य से बाहर सूअर के मांस के व्यापार पर रोक लगा दी गई है। जब तक इस वायरस पर काबू नहीं पाया जाएगा, तब तक ये रोक जारी रहेगी।
अफ्रीकन स्वाइन फ्लू को नियंत्रित करना काफी मुश्किल है। ऐसा इसलिए कि अभी तक इसकी कोई दवा या इंजेक्शन नहीं मिला है। ऐसे में इसकी चपेट में आने के बाद सूअरों की मौत सौ प्रतिशत हो जाती है।
ये वायरस एक सूअर से दूसरे में फ़ैल जाता है। ऐसे में फ़ार्म में रहने वाले सूअर इसके सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं।
केंद्र सरकार ने संक्रमित सूअरों को मारने को कहा है लेकिन राज्य सरकार संक्रमित सूअरों को एक किलोमीटर के दायरे में अलग रखने का फैसला किया है।
ये वायरस पहली बार 1921 में कीनिया में सामने आया था। लेकिन भारत में अब तक इस वायरस का एक भी मामला नहीं मिला था। ये पहली बार है कि अफ्रीकन स्वाइन फ्लू भारत में फैला है।
हालांकि, ये वायरस सूअर से इंसान में नहीं होता है। ये सूअर से सूअर में फैलता। है इसलिए ये कोरोना की तरह इंसानों के जान के लिए खतरा नहीं है।
लेकिन इस वायरस की वजह से असम के 7 लाख सूअर पालन करने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।