देश की सबसे बड़ी मस्जिद से आया एक बड़ा फैसला, जानिए इससे जुड़े 7 अंक का रहस्य
भारत की सबसे बड़ी मस्जिद ताज-उल-मसाजिद(ताजुल मस्जिद) अपनी वास्तुकला और भव्यता के कारण प्रसिद्ध है। कोरोनाकाल में इस मस्जिद ने एक बड़ा फैसला लिया है। इसने अपने निकाह की गाइडलाइन बदल दी है। निकाह में भीड़ के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है कि अब यहां रोज सिर्फ 7 निकाह होंगे। अभी तक यहां एक दिन में 30-35 निकाह तक हो रहे थे। सिर्फ 7 निकाह की अनुमति भी दिचलस्प है। बता दें कि इस मस्जिद का 7 अंक से गहरा रिश्ता है। यहां तीन गुबंद के नीचे 7 मेहराब हैं। इसी को देखते हुए प्रत्येक मेहराब के नीचे 7 निकाह का इंतजाम होगा। दारु उलूम ताजुल मसाजिद के मुखिया प्रो. हस्सान खान और शहर काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी और मसाजिद कमेटी के प्रभारी सचिव यासेर अराफत ने बताया कि वे पिछले 3 साल से निकाह सादगीपूर्ण तरीके से कराने की मुहिम छेड़े हुए थे। मस्जिद में निकाह कराने से बेवजह से के खर्चे बचेंगे। आगे पढ़ें मस्जिद के इतिहास जुड़ी कहानी...
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ताजुल मस्जिद का निर्माण भोपाल की 8वीं शासक शाहजहां बेगम ने शुरू कराया था। हालांकि धन की कमी के कारण उनके जीते-जी मस्जिद पूरी नहीं बन सकी। 1971 में यह मस्जिद पूरी बन सकी।
(ताजुल मस्जिद का एरियल व्यू)
फोटो क्रेडिट: Pranshu Dubey
शाहजहां बेगम इसे दुनिया का सबसे बड़ी मस्जिद बनाने का सपना देख रही थीं। लेकिन बाद में जमीन नहीं मिलने से यह देश की एक बड़ी मस्जिद होकर रह गई।
(ताजुल मस्जिद का विहंगम दृश्य)
बाकी सभी फोटो विकिपीडिया से
इस मस्जिद के निर्माण के लिए बहादुर शाह जफर ने धन और संसाधन मुहैया कराए थे। इसमें 3 गुंबद और 2 मीनारें हैं। यह है मस्जिद के अंदर जाने का मुख्य रास्ता
ताजुल मस्जिद में 18 मंजिला ऊंची 2 मीनारें हैं। जो संगमरमर के गुंबदों से सजी हैं। इसके अलावा भी मस्जिद में दो अन्य गुंबद हैं।
इस मस्जिद का कुल क्षेत्रफल 14 लाख 52 हजार स्क्वेयर फीट है। इसका अंतिम निर्माण बेगम की मृत्यु के बाद शहर के एक शख्स मौलाना इमरान खां साहब की देखरेख में पूरा हुआ।
यूं दिखता है मस्जिद का मुख्य द्वार