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16 ताजा तस्वीरों में देखें 'कातिल अन्नदाता' का पूरा सच, पुलिस को ट्रैक्टर से दौड़ा-दौड़ा कर कुचला
हटके डेस्क: 26 जनवरी को भारत के लोग गणतंत्र दिवस की खुशियां मनाने में व्यस्त थे। लेकिन अचानक ही दो महीने से चल रहा किसान आंदोलन हिंसक हो उठा और हर तरफ कोहराम मच गया। किसी ने सोचा भी नहीं था कि 2021 के गणतंत्र दिवस को इस तरह से याद किया जाएगा। अन्नदाता किसान हिंसक हो पड़ेंगे और लाठियों से लेकर आंसू गैस छोड़ने की नौबत आ जाएगी। लाल किले पर 26 जनवरी को जो हुआ वो वाकई देश के लिए शर्म की बात है। देश की मीडिया इसे अपने अजेंडे के अनुसार दिखा रही है। हालांकि, इसपर बहस जारी है कि हिंसा में गलती किसकी है। हम किसी का पक्ष नहीं ले रहे लेकिन सिर्फ आपको तस्वीरों के जरिये दिखा रहे हैं कि असल में इस दौरान हुआ क्या? तस्वीरें खुद ब खुद आपको असलियत बता देगी...
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लाल किले पर सारे सिक्युरिटी अरेंजमेंट्स को धता बताते हुए एक किसान ने खंभे पर धार्मिक झंडा फहरा दिया।
घेर-घेरकर पुलिस को पीटते दिखे आंदोलनकर्मी।
इसके बावजूद किसानों ने कई पुलिसकर्मियों को गंभीर रूप से घायल कर दिया।
90 मिनट तक लाल किले के अंदर चले इस हिंसा के बाद पुलिस ने स्थिति को संभाला। आखिरकार उन्हें बाहर कर दिया गया।
जब हिंसा हद से ज्यादा बढ़ गई, तब पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा।
लाल किले में पुलिस पर वार करते दिखे आंदोलनकर्मियों की तस्वीर।
लाल किले पर उपद्रवी किसानों ने जमकर हंगामा मचाया। किले के परिसर में पुलिस के साथ झड़प की तस्वीरें भी सामने आई।
तिरंगे के ठीक नीचे फहराए गए इस धार्मिक झंडे की तस्वीर खूब वायरल हो रही है।
कई जगहों पर पुलिस को उपद्रवीयों ने घेरकर पीटा। कई पुलिस कर्मी अस्पताल में भर्ती हैं। तस्वीर में- एक पुलिसकर्मी को किसानों के चंगुल से बचाने की कोशिश करते दिख लोग।
कई उपद्रवी पुलिस को ट्रैक्टर से कुचलने की कोशिश करते दिखे। इस हिंसा में पुलिस अपनी जान बचाने के लिए दौड़ते दिखे। सड़क पर खड़े पुलिसकर्मियों को छिपने के लिए गाड़ियों की ओट लेनी पड़ी।
ITO में किसानों ने बैरिकेड तोड़े। पुलिस पर आक्रमण किया। इसके बाद पुलिस की जवाबी कार्यवाई के दौरान और अधिक उपद्रव फैलाया।
दिल्ली के कई इलाकों से हिंसा की खबरें सामने आई। जितनी भी तस्वीरें दिखी सब साफ़ दिखा रही है कि हिंसा कौन कर रहा था?
सेंट्रल दिल्ली में एक किसान की मौत हो गई। पुलिस का कहना है कि इस दौरान पब्लिक प्रॉपर्टी का काफी नुकसान हुआ। साथ ही कई पुलिसकर्मी घायल भी हो गए।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि ट्रैक्टर रैली के लिए तय किये गए रुट्स के अलावा भी किसानों ने कई दूसरे रास्तों से एंट्री ले ली। इस वजह से जब उन्हें रोका गया तो उन्होंने पुलिस पर ही आक्रमण कर दिया।
गणतंत्र दिवस के दौरान हजारों किसानों ने बैरिकेड तोड़कर दिल्ली में प्रवेश किया। उन्हें रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस छोड़ने पड़े। साथ ही साथ लाठी चार्ज करना पड़ा। तस्वीर में- दिल्ली के ITO में पुलिस बैरिकेड तोड़ हिंसा करते किसान।
किसान आंदोलन का ये हिंसक चेहरा सामने आया 26 जनवरी को लाल किले पर चल रहे 72वें गणतंत्र दिवस के आयोजन के दौरान। इस दौरान निकाली गई ट्रैक्टर रैली के नाम पर हिंसा शुरू हो गई थी। तस्वीर में- गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस बैरिकेड तोड़ते किसान।