चीन के चक्कर में फंसे नेपाल के बारे में आपको ये बातें पता हैं क्या
पड़ोसी मुल्क नेपाल अपनी संस्कृति और सभ्यता के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। इस समय नेपाल में सियासी संकट गहराया हुआ है। भारत और चीन से बिगड़े रिश्तों के बीच नेपाल की गतिविधियां ठीक नहीं रहीं। उसने चीन का समर्थन करके अपने पड़ोसी धर्म का निर्वाह नहीं किया। खासकर तब, जब नेपाल को भारत अपना छोटा भाई मानता रहा। खैर, आपको बता दें कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) ने रविवार को संसद भंग करने की सिफारिश की थी। इसे राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने मंजूरी दे दी। यानी अब यहां अगले साल इलेक्शन होंगे। नेपाल फिर से चर्चाओं में हैं। आइए जानते हैं इसी खबर के साथ नेपाल के बारे में कुछ खास बातें...
/ Updated: Dec 21 2020, 09:15 PM IST
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बता दें कि केपी शर्मा ओली ने 2018 में दूसरी बार सत्ता संभाली थी। हालांकि वे शुरू से ही नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता की बात करते रहे हैं।
नेपाल कम्यूनिस्ट पार्टी के अंदरुनी झगड़े के चलते रविवार को संसद भंग करनी पड़ी। इस घटनाक्रम ने सभी का चौंका दिया है।
ओली किशोरावस्था से राजनीति में आ गए थे। राजशाही का विरोध करने के कारण उन्हें 14 साल जेल में गुजारना पड़ा।
ओली चीन के समर्थन के चलते भारत से अपनी दोस्ती में दरार डाल चुके हैं। 68 वर्षीय ओली इससे पहले 11 अक्टूबर, 2015 से तीन अगस्त, 2016 तक नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं।
ओली चीन के उकसावे पर शुरू से ही भारत के खिलाफ रहे हैं। उन्होंने यहां तक आरोप लगाए थे कि भारत उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करके राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर रहा है।
वर्ष 2015 में नेपाल ने नया संविधान अपनाया था। इसमें नेपाल को 7 राज्यों में विभाजित किया गया। इसे लेकर जातीय मधेसी समूह ने विरोध जताया था। यह समूह मूलरूप से भारतीय है।
ओली के दूसरे कार्यकाल के दौरान उनकी पार्टी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (NCP) में कलह बढ़ गई।
इनके विरोधी धड़े के लीडर पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष तथा पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' भारत के समर्थक रहे हैं।