ये हैं कलयुग के कृष्ण और सुदामा, दोस्त की हालत देख पक्के यार ने तोहफे में दिया घर
हटके डेस्क : महंगाई के जमाने में अपना घर बनाना ही लोगों के लिए इतना मुश्किल होता जा रहा है, लेकिन क्या आपने कभी सुना है एक दोस्त ने अपने दूसरे दोस्त के लिए घर बना दिया? आज के दौर में ऐसा करना बहुत मुश्किल है पर तमिलनाडु के पुदुकोट्टई के रहने वाले मुत्थुकुमार और के. नागेंद्रन वास्तव में कलयुग के कृष्ण और सुदामा है, नागेंद्रन ने अपने दोस्त की हालत देख उसके लिए नया घर ही बनवा दिया और उन्हें सरप्राइज दिया। अब उनकी दोस्ती के कसीदे पढ़े जा रहे हैं। हर कोई उनकी दोस्ती की मिसाल देने से पीछे नहीं हट रहा।
| Published : Nov 19 2020, 10:52 AM IST
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कहते है ना कि दुनिया में खून से बड़ा कोई रिश्ता होता है, तो वो दोस्ती का होता है। दोस्ती एक ऐसा बंधन होता है, जो हमें भगवान नहीं देते बल्कि हम खुद बनाते हैं। एक सच्चा दोस्त मिलना किस्मत की बात होती है।
दोस्त हर सुख-दुख में साथ रहते हैं। कोई भी परेशानी आए तो वह हमेशा मदद को तैयार रहते हैं। ऐसे ही दो दोस्त है तमिलनाडु (Tamil Nadu) के पुदुकोट्टई के रहने वाले मुत्थुकुमार और के. नागेंद्रन।
कोरोना महामारी और गाजा तूफान का कहर मुत्थुकुमार पर इस तरह बरपा की उनका सब कुछ बर्बाद हो गया। कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से उनकी नौकरी चली गई। उनकी कमाई जो 15000 रुपये होती थी, अब वो घट कर 1-2 हजार रुपए रह गई।
वहीं, तमिलनाडु में आए गाजा तूफान के कारण उनके घर की छत उड़ गई थी। घर के आसपास के पेड़-पौधे भी टूट गए थे। जिसके कारण उनका पूरा परिवार एक झुग्गी में रहने को मजबूर हो गया।
मुत्थुकुमार सितंबर में अपने एक स्कूल टीचर के घर गए थे जहां उनकी मुलाकात स्कूल के दोस्त नागेंद्रन से हुई। 30 साल बाद नागेंद्रन से मिलकर मुत्थुकुमार बेहद खुश थे। उन्होंने नागेंद्रन को अपने घर आने का न्यौता दिया।
जब वह मुत्थुकुमार के यहां पहुंचे और उनके घर की हालत देखकर वह काफी दुखी हुए। नागेंद्रन ने मुत्थुकुमार की मदद करने की ठानी और उनके स्कूल TECL हायर सेकेंडरी के दोस्तों के व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए फंड जुटाया।
कुछ ही दिनों में उनके पास 1.5 लाख रुपए इकठ्ठे हो गए। बिना किसी इंजीनियर की मदद के उन्होंने घर को पूरा करवाया।
इसके बाद दिवाली पर नागेंद्रन और सभी दोस्तों ने मुत्थुकुमार और उनके परिवार को नया घर बनवाकर गिफ्ट किया। अपने दोस्त की मदद कर नागेंद्रन कहते हैं कि 'भले ही हम संपर्क में नहीं रहे लेकिन स्कूल के दोस्त हमेशा खास होते हैं। हमें अपने दोस्तों की जरुरत में मदद करनी चाहिए'।