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प. बंगाल का वह गांव, जहां लोग भूख मिटाने खाते थे पत्तियां, महिलाओं ने बदल दी तस्वीर, एक ने और जबरदस्त काम किया
कोलकाता। पश्चिम बंगाल (West Bengal) में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके लिए राजनीतिक दलों ने प्रचार शुरू कर दिया है। राज्य में जगह-जगह रैलियां शुरू हो गई हैं। इसी बीच, हम आपको इस राज्य के पुरुलिया जिले के झालदा (Jhalda) नाम के एक पिछड़े कस्बे के पास स्थित गांव की कहानी बताने जा रहे हैं। यह कहानी इस मामले में प्रेरणादाई है कि झालदा सब-डिविजन के अंतर्गत आने वाले पहाड़ों और जंगलों के बीच बसे जिलिंगसेलिंग नाम के आदिवासी गांव में मालती नाम की एक युवती ने शिक्षा और समाज-सेवा के क्षेत्र में जो काम किया, वह किसी भी पार्टी का कोई नेता नहीं कर सका। बता दें कि पुरुलिया पश्चिम बंगाल का बेहद पिछड़ा जिला रहा है और इस पूरे इलाके में जंगल और पहाड़ हैं। यहां जंगलों के बीच आदिवासियों के गांव हैं, जहां किसी तरह की कोई सुविधा नहीं पहुंची है। बेरोजगारी, गरीबी और अशिक्षा यहां की मुख्य समस्या है। यहां के अयोध्या नाम की पहाड़ी पर जिलिंगसेलिंग गांव है। इस पहा़ड़ी पर 30 मिनट तक चढ़ाई करने पर यह गांव मिलता है। झालदा से मुरुगमा तक सड़क पर साइनबोर्ड मिलते हैं, लेकिन जिलिंगसेलिंग गांव तक जाने के लिए कोई रोड नहीं है। अयोध्या पहाड़ी पर चढ़ने के बाद एक समतल जगह पर कुछ आदिवासी बच्चे खेलते नजर आ जा सकते हैं। वहां से गांव करीब 10 किलोमीटर दूर है। समझा जा सकता है कि यह गांव जंगल के काफी अंदर बसा हुआ है। इस गांव में आज तक किसी भी दल के नेता ने किसी तरह की कोई सुविधा पहुंचाने की कभी कोई कोशिश नहीं की। बता दें कि यह इलाका एक समय माओवादियों की गतिविधियों का भी केंद्र रह चुका है। लेकिन यहां मालती नाम की एक आदिवासी युवती ने जो काम किया, वह वाकई किसी के लिए भी प्रेरणादाई हो सकता है। जानें इसके बारे में।
| Published : Mar 13 2021, 06:42 PM IST / Updated: Mar 13 2021, 06:58 PM IST
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