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शी जिनपिंग के पिता को पार्टी से निकाल जेल में किया गया था बंद, जानें कैसे बने चीन के सबसे ताकतवर नेता
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शी जिनपिंग का जन्म 15 जून 1953 को हुआ था। उनके पिता का नाम शी झोंगक्सुन था। जिनपिंग की परवरिश झोंगनानहाई में हुई थी। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत प्रोपेगेंडा (झूठा प्रचार) फैलाने से हुई थी। बाद में उन्हें पार्टी का प्रचार प्रमुख बनाया गया था। कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ अधिकारियों के दूसरे बच्चों की तरह जिनपिंग को भी बचपन में राजकुमार कहा जाता था।
जिनपिंग के पिता झोंगक्सुन क्रांतिकारी थे। वह कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े नेता और माओत्से तुंग के करीबी सहयोगी थे, लेकिन 1960 में पार्टी के दूसरे नेता झोंगक्सुन के विरोधी बन गए थे। झोंगक्सुन को पार्टी से निकाल दिया गया और हेनान प्रांत में एक कारखाने में काम करने के लिए भेज दिया गया। उन्हें 'क्रांति का दुश्मन' करार देकर जेल में डाल दिया गया था।
चीन की सांस्कृतिक क्रांति के दौरान शी की पढ़ाई बाधित हो गई थी। माओ की योजना के तहत विशेषाधिकार प्राप्त शहरी युवाओं को फिर से शिक्षित करने के लिए गांव भेजा गया था। इन युवकों में जिनपिंग भी शामिल थे। जिनपिंग ने 7 साल तक किसान के रूप में काम किया। इस दौरान वह एक गुफा घर में रहते थे।
किसान के रूप में गांव में काम करने के बाद शी ने दस बार कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल होने के लिए आवेदन किया था। अंतिम प्रयास में उन्हें पार्टी में शामिल किया गया। 70 के दशक के अंत में शी ने बीजिंग के सिंघुआ विश्वविद्यालय में केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। 1998-2002 के बीच उन्होंने मार्क्सवादी सिद्धांत का अध्ययन किया और सिंघुआ विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
जिनपिंग 1979 में चीन की शीर्ष रक्षा संस्था केंद्रीय सैन्य आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष गेंग बियाओ के सचिव बने। 1983 में वह झेंगडिंग काउंटी के पार्टी सचिव बने थे। अगले 24 वर्षों में शी ने चार अलग-अलग प्रांतों (हेबै, फुजियान, झेजियांग और शंघाई) में काम किया।
1997 में शी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 15वीं केंद्रीय समिति के 'वैकल्पिक सदस्य' बने। उन्हें सबसे कम वोट मिले थे। इसके बाद वह चीन के तटीय प्रांत फुजियान के गवर्नर बने। फुजियान में उनका कार्यकाल विशेष रूप से एक बड़े तस्करी घोटाले और भ्रष्टाचार के उनके कड़े विरोध के लिए विख्यात था। 2002 में उनका ट्रांस्फर झेजियांग प्रांत में हो गया। इसी साल वह 16वीं केंद्रीय समिति के पूर्ण सदस्य के रूप में भी चुने गए।
पोलित ब्यूरो के सदस्य बनने के बाद 2007 से शी की ताकत तेजी से बढ़ी। पोलित ब्यूरो कम्युनिस्ट पार्टी की निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था है। उस समय इस बात के संकेत मिल गए थे कि वह आने वाले वक्त में राष्ट्रपति हू जिंताओ की जगह लेंगे। 2008 में उन्हें उपराष्ट्रपति नियुक्त किया गया था।
नवंबर 2012 में शी हू जिंताओ के उत्तराधिकारी के रूप में पार्टी महासचिव बने। चार महीने बाद मार्च 2013 में वह चीन के राष्ट्रपति बने। इसके साथ ही पार्टी महासचिव और केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष का पद भी उन्हें मिला।
माओत्से तुंग के बाद शी को चीन का सबसे शक्तिशाली नेता कहा जाता है। सत्ता में आने के बाद से शी ने एक व्यापक भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चलाया। उन्होंने इंटरनेट पर कड़ाई से नियंत्रण लगाया और सैन्य खर्च बढ़ाया है। उन्होंने अधिक मुखर विदेश नीति अपनाई है। शिनजियांग में मानवाधिकारों के उल्लंघन और हांगकांग में राजनीतिक विरोध पर कार्रवाई के लिए उनके शासन की आलोचना भी की गई है।