खुशखबरी : अब मिलेगी कोरोना से आजादी, इस देश ने एक महीने के भीतर बना लीं दो वैक्सीन
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वैक्सीन का नाम EpiVacCorona रखा गया है। इसका ट्रायल सितंबर में पूरा हो जाएगा। वहीं, अक्टूबर में इसका प्रोडक्शन भी शुरू हो जाएगा। कोरोना की वैक्सीन लॉन्च होने से संबधित ये खबर राहत देने वाली है।
हाल ही में रूस ने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन 'स्पुतनिक-वी' लॉन्च की थी। इसे गामालेया रिसर्च सेंटर और रूस के रक्षा मंत्रालय ने बनाया है। हालांकि, अमेरिका, ब्रिटेन जैसे तमाम देश इस पर सवाल उठा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि पहली वैक्सीन लगाने के बाद लोगों में जो साइड इफेक्ट दिखे थे, वे नई वैक्सीन की डोज के बाद नजर नहीं आए। EpiVacCorona का ट्रायल 57 वॉलंटियर्स पर किया गया है। इसे बनाने वाले वैज्ञानिकों का दावा है कि वॉलंटियर्स को 23 दिन के लिए हॉस्पिटल में रखा गया था। इस दौरान उनकी जांच हुई, उनमें कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखे।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, वैक्सीन के इस्तेमाल के बाद इम्यून रेस्पॉन्स अच्छा देखने को मिला। इसके लिए वॉलंटियर्स को 14 से 21 दिन में वैक्सीन की दो डोज दी गईं। रूस को उम्मीद है कि यह वैक्सीन अक्टूबर में रजिस्टर्ड होने के साथ साथ इसका उत्पादन भी शुरू हो जाएगा। नवंबर में इसका बड़े स्तर पर प्रोडक्शन होगा।
वैक्सीन को वेक्टर स्टेट रिसर्च सेंटर ऑफ वायरोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी ने बनाया है। यह दुनिया के दो प्रमुख संस्थानों में से है, जिनके पास चिकनपॉक्स की वैक्सीन का सबसे बड़ा स्टॉक है। रिसर्च सेंटर का दावा है कि उनके यहां कोरोना की 13 वैक्सीन पर काम किया गया। इनकी टेस्टिंग जानवरों पर हुई।
यह संस्थान चिकनपॉक्स के अलावा ब्यूबोनिक प्लेग, इबोला, हेपेटाइटिस-बी, एचआईवी, सार्स और कैंसर का एंटीडोज भी तैयार कर चुका है।
इससे पहले रूस ने दुनिया की पहली वैक्सीन बनाने का दावा किया था। वैक्सीन का रजिस्ट्रेशन 11 अगस्त को कराया गया था। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी वैक्सीन पर सवाल उठाए हैं। WHO ने वैक्सीन को खतरनाक बताया।
बताया जा रहा है कि रूस ने WHO की गाइडलाइन का पालन भी नहीं किया। ना ही पहले से लेकर तीसरे चरण तक की जानकारी और विस्तृत आंकड़ा जारी किया। ऐसे में कोरोना की वैक्सीन सवालों के घेरे में है।