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भारत ही नहीं, पाकिस्तान समेत 23 देशों के साथ भी है चीन का सीमा विवाद, हजारों वर्गमीटर जमीन पर करता है दावा
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भारत के साथ-साथ चीन का अफगानिस्तान के साथ भी सीमा विवाद बहुत पुराना चल रहा है। वर्ष 1963 में समझौते के बावजूद चीन अफगानिस्तान के बड़े भूभाग पर अपना आधिपत्य जताता है। चीन यहां समय समय पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराता है और इन इलाकों को अपना बताता है।
बर्मा-चीन का सीमा विवाद काफी लंबे अरसे से चल रहा था। 1271 से 1368 के बीच चीन के युआन राजवंश के समय बर्मा चीन का हिस्सा हुआ करता था। उसी इतिहास को आधार मानकर चीन बर्मा के एक बड़े भूभाग पर अपनी दावेदारी दिखाता है।
भारत और चीन के बीच काफी पुराना सीमा विवाद चला आ रहा है। भारत के तमाम हिस्सों पर चीन अपना दावा करता रहा है। दोनों देश 1962 में एक बार युद्ध भी लड़ चुके हैं, लेकिन इस विवाद का समापन नहीं हुआ है। जम्मू-कश्मीर से लेकर सिक्किम, अरुणांचल प्रदेश, तक के इलाकों पर चीन अपनी धौंस दिखाता रहा है। चीन दावा करता है कि मैकमोहन रेखा के जरिए भारत ने अरुणाचल प्रदेश में उसकी 90 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन दबा ली है। भारत इसे अपना हिस्सा बताता है। हिमालयी क्षेत्र में सीमा विवाद को निपटाने के लिए 1914 में भारत तिब्बत शिमला सम्मेलन बुलाया गया।
भूटान के एक बड़े भूभाग पर चीन दावेदारी करता है कि चीन यहां तेजी से सड़कों का निर्माण कर रहा है। इतना ही नहीं उसने यहां इंटरनेशनल बार्डर पर बंकर तक बना रखे हैं। वो लगातार इस क्षेत्र को अपना बताता है। भूटान के साथ भारत का बहुत मधुर संबंध है और भारत भूटान की हर तरह की मदद भी करता है।
दक्षिण चीन सागर में कुछ तटीय द्वीपों पर ब्रुनेई का कब्जा रहा है। हालांकि, चीन को लगता है यह उसका ही इलाका है। मिंग राजवंश (1368-1644) कंबोडिया तक फैला हुआ था। इस आधार पर चीन गाहे-बगाहे कंबोडिया पर अपना अधिकार जताने से बाज नहीं आता। दक्षिण चीन सागर के कुछ इलाकों पर इंडोनेशिया का अधिकार है। हालांकि, चीन का कहना है कि यह पूरा इलाका उसका है।
चीन का दावा है कि किर्जिगिस्तान के बड़े हिस्से पर उसका अधिकार है, क्योंकि 19वीं सदी में उसने इस भूभाग को युद्ध में जीता था। इसके साथ ही चीन का अपने सीमावर्ती कजाखस्तान के साथ भी सीमा विवाद है। हालांकि, हाल ही में दोनों देशों के बीच समझौते हुए हैं और वे चीन के पक्ष में गए हैं।
कुछ दिनों पहले ही भारत के हिस्से को नेपाल ने अपने नक्शे में पेश किया था। भारत और नेपाल के बहुत ही मधुर संबंध हैं। कहा तो ये भी जा रहा है कि नेपाल को चीन उकसा रहा है। नेपाल के बड़े हिस्से पर चीन की दावेदारी रही है। यह दावेदारी वर्ष 1788-1792 चीन-नेपाल युद्ध के समय से चली आ रही है। चीन के मुताबिक, नेपाल तिब्बत का हिस्सा है। इस हिसाब से यह चीन का हिस्सा हुआ। हाल ही में लद्दाख विवाद में नेपाल ने चीन के दूतावास के सामने प्रदर्शन करके शांति की मांग की थी।
चीन और पाकिस्तान भले ही दुनिया के सामने दोस्ती का दिखावा करते हैं, लेकिन दोनों के बीच सीमा विवाद भी चल रहा है। चीन और पाकिस्तान दोनों भारत को घेरने के लिए एक-दूसरे की गलत बातों का भी समर्थन करते रहते हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच खुद जो सीमा विवाद है। जिस तरह से चीन इकॉनॉमिक कॉरिडोर बना रहा है। वो आने वाले वक्त में पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा नुकसान साबित हो सकता है। चीन अगर अपनी चाल में सफल हो गया तो पाकिस्तान का बड़ा हिस्सा चीन के आधिपत्ये में होगा।
इन सबके अलावा रूस के साथ लगती हुई 1,60,000 वर्ग किलोमीटर की सीमा पर चीन अपनी दावेदारी जता चुका है। दोनों देशों के बीच कई समझौते हो चुके हैं, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकल सका है। ताइवान चीनी गणराज्य का हिस्सा है। हालांकि, ताइवान इस बात का पुरजोर विरोध करता रहा है। सिंगापुर के साथ चीन का विवाद दक्षिण चीन सागर को लेकर ही है। चीन यहां मछली मारने को लेकर कई बार सिंगापुर से अपनी आपत्ति दर्ज करा चुका है।
चीन की विस्तारवादी नीति सिर्फ भारत के साथ ही नहीं है। दक्षिण कोरिया पूर्वी चीन सागर में कई इलाकों पर लंबे समय से अपना कब्जा जमाए हुए है। हालांकि, चीन का कहना है कि पूरे दक्षिण कोरिया पर उसका हक है। यहां उसने ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि दक्षिण कोरिया पर चीन के युआन राजवंशन का शासन रहा था। उत्तर कोरिया के जिन्दाओ इलाके पर अपनी दावेदारी पेश करता रहा है। यहां भी वह ऐतिहासिक तथ्यों की बात करता है।
चीन के मुताबिक तजाकिस्तान पर चीन के किंग राजवंश (1644-1912) का शासन रहा है। इस लिहाज से तजाकिस्तान पर उसका हक है। चीन समय-समय पर यहां पर भी उकसावे भरी हरकतें करता रहता है।
चीन का वियतनाम के साथ युद्ध भी हो चुका है। चीन के मुताबिक वियतनाम पर भी उसका हक है, क्योंकि एक समय चीन के मिंग राजवंश (1368-1644) का यहां शासन रहा था।