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आर्मेनिया और अजरबैजान युद्ध: 22 दिन में 600 से ज्यादा लोगों ने गंवाई जान, देखें जंग की दर्दनाक तस्वीरें
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बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, आर्मेनियाई रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि अजरबैजान ने शनिवार रात 12 बजे संघर्ष विराम लागू होने के चार मिनट बाद ही तोप के गोले और रॉकेट दागे। वहीं, अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने आर्मेनिया पर आरोप लगाया कि उनकी ओर से की गई गोलीबारी में 2000 से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा।
अब तक 600 लोगों की हुई मौत
आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच पिछले 22 दिनों से जंग जारी है। अब तक 600 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। हालांकि, रूस की मध्यस्थता में शनिवार को दोनों देशों ने संघर्षविराम के लिए समझौता किया था। इसके बावजूद जंग नहीं रुकी।
दोनों देशों के बीच पिछले महीने से विवादित क्षेत्र को लेकर लड़ाई जारी है, इसे अजरबैजान अपना हिस्सा मानता है, जबकि इस पर आर्मेनिया का कब्जा है।
कौन किसके साथ?
आर्मेनिया रूस का मित्र राष्ट्र है। यहां रूस का बेस भी है। इसलिए रूस दोनों देशों से इसे रोकने की अपील कर रहा है। जबकि तुर्की अजरबैजान का खुलकर समर्थन कर रहा है। अजरबैजान में ज्यादातर लोग तुर्की मूल के ही रहते हैं।
उधर, तुर्की और पाकिस्तान में अच्छे संबंध हैं। ऐसे में पाकिस्तान पर आरोप लगे हैं कि पाकिस्तानी स्पेशल फोर्स अजरबैजान की सेना के साथ मिलकर आर्मेनिया से लड़ रही है। हालांकि, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इससे इंकार कर दिया है।
दोनों देशों की सीमाएं ईरान से मिलती हैं, ऐसे में ईरान भी मध्यस्थता की पेशकश कर चुका है। अमेरिका, फ्रांस भी उन देशों में है, जो दोनों देशों से युद्ध विराम की अपील कर चुका है।
क्या है विवाद?
आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच 4,400 किलोमीटर में फैले नागोर्नो-कारबाख इलाके लेकर लंबे वक्त से विवाद चल रहा है। यह इलाका अजरबैजान का हिस्सा माना जाता था लेकिन अर्मेनिया भी इस पर दावा करता है। इस क्षेत्र को लेकर 1980 से 1990 के दशक तक संघर्ष चला। इसमें करीब 30 हजार लोगों की मौत हुई।
1994 में युद्धविराम के बाद इस इलाके से अजरबैजान का नियंत्रण खत्म हो गया। अब इस इलाके में दोनों देशों की सेनाएं तैनात हैं।
2016 में भी दोनों देशों के बीच भीषण लड़ाई हुई थी। इसमें 200 लोगों की मौत हुई थी।