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हमले में हो गए थे जनरल सुलेमानी के टुकड़े, इस एक अंगूठी से हुई अमेरिका के दुश्मन नंबर 1 की पहचान
बगदाद. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ही बगदाद एयरपोर्ट पर गुरुवार रात हुए ड्रोन हमले की इजाजत दी थी। इस हमले में ईरान के एलिट फोर्स के जनरल कसीम सुलेमानी (Qassem Soleimani) समेत 8 लोग मारे गए हैं। ट्रम्प ने इस हमले की जानकारी किसी सहयोगी को भी नहीं दी। माना जा रहा है कि इस हमले से ईरान और अमेरिका के बीच रिश्ते और खराब होंगे। यहां तक यह भी कहा जा रहा है कि तीसरा विश्व युद्ध भी हो सकता है।
| Published : Jan 04 2020, 08:04 AM IST / Updated: Jan 04 2020, 11:50 AM IST
हमले में हो गए थे जनरल सुलेमानी के टुकड़े, इस एक अंगूठी से हुई अमेरिका के दुश्मन नंबर 1 की पहचान
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अमेरिका ने एमक्यू 9 रीपर ड्रोन से 4 मिसाइल दागी। इसमें 2 कार धमाकों में उड़ गईं। धमाका इतना भयंकर था कि लाशों के टुकड़े टुकड़े हो गए थे। ऐसे में सुलेमानी की पहचान उसके हाथ की अंगूठी से हुई, जो उसकी उंगलियों में देखी जाती थी। बगदाद एयरपोर्ट के पास लगे सीसीटीवी में दिख रहा है कि किस तरह से उसके काफिले पर हमला हुआ।
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इस हमले में सुलेमानी के अलावा इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड के तीन सीनियर अफसर भी मारे गए हैं।
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अमेरिका ने यह हमला बगदाद में स्थित उसके दूतावास पर हमले के बाद किया। दूतावास पर हमले के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि इसकी कीमत ईरान को चुकानी पड़ेगी। अमेरिका ने सुलेमानी को निशाना बनाया, इसके पीछे भी वजह है।
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दरअसल, सुलेमानी अमेरिका के लिए खतरा बन गए थे। वे ईरान की विदेशों में काम करने वाली यूनिटों का जिम्मा संभालते थे। ईरान और अमेरिका के बीच चल रही लड़ाई में सुलेमानी अहम भूमिका निभा रहे थे। ईरान रिवॉलूशनरी गार्ड्स के प्रमुख कासिम को ईरान में सेलेब्रिटी की तरह देखा जाता था। वे सीधे तौर पर ईरान के सर्वोच्च नेता से ही संपर्क में रहते थे।
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सुलेमानी के बढ़ते कद से परेशान था अमेरिका: सीरिया और ईराक में भी सुलेमानी की अहम भूमिका थी। वे पश्चिम एशिया के ज्यादातर मिशन को देखते थे। मिडिल ईस्ट में सुलेमानी के बढ़ते कद से अमेरिका नाराज था। अमेरिका नहीं चाहता था कि उसका कद दूसरे देशों में और बढ़े। सुलेमानी की मजबूती का फायदा ईरान को मिल रहा था। अमेरिका ही नहीं इजरायल, सऊदी और पश्चिमी देशों भी सुलेमानी से परेशान थे।
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लेबनान में आतंकी सेना का किया समर्थन: कुद्स फोर्स ने पिछले 16 साल में इराक, सीरिया और यमन जैसे देशों में हो रहे गृहयुद्धों का जमकर फायदा उठाया। ईरान इन ताकतों का इस्तेमाल इजराइल के खिलाफ करने और महाशक्ति बनने में भी कर रहा था। अमेरिका को यह मंजूर नहीं था। लेबनान में भी सुलेमान की कुद्स फोर्स ने आतंकी सेना हिज्बुल्लाह का समर्थन किया।