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नेता को दौड़ाकर पीटा, सरकार विरोधी और समर्थक एक-दूसरे को मार रहे, 10 फोटो में देखिए श्रीलंका कैसे खाक में मिला
नई दिल्ली। श्रीलंका में हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षा के इस्तीफे, उनका घर जलाने, सांसद की मौत और कई सांसद, विधायक व पूर्व मंत्रियों की संपत्तियों को खाक में मिलाने के बाद अब तक करीब एक दर्जन आम नागरिकों की मौत भी हो चुकी है। कई करोड़ की संपत्ति खाक में मिल चुकी है, लेकिन हिंसा का दौर थम नहीं रहा। बसें और लग्जरी कार देखते ही जला दिए जा रहे हैं। सरकार विरोधी और समर्थक एक-दूसरे को खोज-खोजकर मार और काट रहे हैं। सरकार ने कफ्र्यू घोषित किया हुआ है। सुरक्षा कर्मियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है, लेकिन पब्लिक को तो इसकी जैसे परवाह ही नहीं है।
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श्रीलंका में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। गृह युद्ध जैसे हालात हैं। सरकार समर्थक और सरकार विरोधी गुट एक दूसरे को खोज-खोजकर मार रहे हैं। सड़क पर हिंसा का नंगा नाच हो रहा। महिंदा राजपक्षा ने बीते सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। माना जा रहा था कि इसके बाद हालात शांत हो जाएंगे।
पूरे श्रीलंका में और खासकर देश की राजधानी कोलंबो में हालात बेहद खराब हैं। लोग एक दूसरे को मार-काट रहे हैं। लड़ाई मौजूदा सरकार समर्थकों और सरकार विरोधी लोगों के बीच चल रही है। दावा किया जा रहा है कि इस्तीफा देने से पहले महिंदा राजपक्षा ने अपने समर्थकों काे भड़काकर लड़ने के लिए सड़क पर उतार दिया है।
श्रीलंका में फैली हिंसा में अब तक करीब एक दर्जन आम नागरिकों की जान चली गई है और करोड़ों रुपए की संपत्ति खाक में मिल गई। लोग इसके लिए महिंदा राजपक्षा को जिम्मेदार मान रहे और उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। लोगों का दावा है महिंदा राजपक्षा ने अपने समर्थकों को लड़ने के लिए सड़क पर छोड दिया है।
यह स्थिति एक या दो दिन में नहीं बनी है बल्कि, स्थिति तीन महीने से बेकाबू हाे रही थी, मगर वहां की सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया और स्थिति काबू में करने में कोई दिलचस्पी नहीं ली। बीते 9 मई को कुछ लोगों ने महिंदा राजपक्षा का पैतृक आवास भी जला दिया। लोगों के गुस्से और डिमांड को देखते हुए 9 मई, सोमवार को ही महिदा राजपक्षा ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया था।
लोग इस कदर एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं कि उनमें छोटे-बड़े, बड़े-बुजुर्ग और महिलाओं-बच्चों तक का ख्याल नहीं किया जा रहा। इस तस्वीर में देखा जा सकता है कि एक बुजुर्ग बौद्ध भिक्षु को भी भीड़ ने निशाना बनाया। घायल होने के बाद जब उनकी स्थिति गंभीर हो गई, तब कुछ सुरक्षाकर्मियों ने हस्तक्षेप कर उन्हें अस्पताल पहुंचाया।
बताया जा रहा है कि पूरी हिंसा सरकार समर्थक और सरकार विरोधियों के बीच है। लोग इतने उग्र हैं कि पुलिस की बात भी नहीं सुन रहे। लोग श्रीलंका के अब तक के सबसे बुरे आर्थिक संकट पर प्रधानमंत्री से पद छोड़ने को कह रहे थे। देश भोजन, ईंधन, दवा और अन्य जरूरी वस्तुतों की किल्लत से जूझ रहा है। देशभर में लंबे समय तक बिजली कटौती हो रही है।
अब तक हुई हिंसा में कुछ नेताओं को भी निशाना बनाया गया है। इनमें सांसद, विधायक और पूर्व मंत्री भी शामिल हैं। वहीं, सार्वजनिक संपत्ति और कार्यालयों को जला दिया गया है। बसों, ट्रकों और कारों में आग लगा दी जा रही है। ऐसे में बहुत से लोग अपनी संपत्ति बचाने की कोशिश में लगे हैं। कई लोग शहर छोड़कर गांव का रुख कर रहे हैं, जिससे जानमाल का नुकसान न हो।
बहरहाल, देश के रक्षा मंत्रालय ने पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ेक अलावा तीनों सेनाओं को भी हालात काबू में लाने के लिए उतार दिया है। सरकार ने निर्देश जारी किए हैं कि सार्वजनिक या निजी किसी भी तरह की संपत्ति लूटने या नुकसान पहुंचाने वालों को देखते ही गोली मार दी जाए। साथ ही, हिंसक घटनाएं रोकने के लिए जो भी जरूरी कदम हो, वे सभी उठाए जाएं।
बताया जा रहा है कि अब तक हुई हिंसा में करीब तीन सौ लोग घायल हुए हैं, जबकि करोड़ों रुपए की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। श्रीलंका के कुरुनेगला में पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षा के पैतृक घर को जलाने के बाद लोगों ने डीए राजपक्षा मेमोरियल को भी आग के हवाले कर दिया। इसके अलावा, विधायक, सांसद और दो पूर्व मंत्री के घर को भी जलाकर उनकी संपत्ति नष्ट कर दी गई।
फिलहाल, श्रीलंका की सरकार हालात सुधारने में जुटी हुई है। संसद के अध्यक्ष ने आदेश जारी किया है कि देश अब तक हुई हिंसा और उससे उत्पन्न हुए बुरे हालात को काबू में करने के लिए सभी जरूरी प्रयास किए जाएं। साथ ही अब तक की स्थितियों पर चर्चा करने के लिए इसी हफ्ते सदन की बैठक बुलाई जाए।