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Taliban को भी डराने वाली ये महिला कौन है, जिसे Afghanistan पर कब्जे के बाद लड़ाकों ने किया कैद

काबुल. अफगानिस्तान (Afghanistan) पर कब्जे के बाद तालिबान ने सलीमा मजारी (Salima Mazari) को अफगानिस्तान में कैद कर लिया गया है। एक वक्त था जब सलीमा मजारी का तालिबान लड़ाकों में खौफ था, उन्होंने तालिबान के खिलाफ हथियार उठाया था। ये अफगानिस्तान में पहली तीन महिला राज्यपालों में से एक है। तस्वीरों के जरिए सलीमा मजारी की कहानी...

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Asianet News Hindi
Published : Aug 18 2021, 12:15 PM IST| Updated : Aug 18 2021, 12:19 PM IST
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देश छोड़ भागी नहीं सलीमा
ऐसे समय में जब कई अफगान राजनीतिक नेता देश छोड़कर भाग गए थे, सलीमा मजारी बल्ख प्रांत के आत्मसमर्पण तक रुकी रही। कुछ देर बाद उनके जिले चाहर किंट पर भी तालिबान ने कब्जा कर लिया। 

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सलीमा मजारी अफगानिस्तान में तीन महिला राज्यपालों में से एक रही हैं। उन्होंने ने चाहर किंट जिले ने तालिबान के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई लड़ी। वे स्थानीय लोगों की लोकप्रिय नेता हो गईं। द गार्जियन के मुताबिक, सलीमा मजारी ने पिछले साल 100 तालिबान लड़ाकों के आत्मसमर्पण के लिए सफलतापूर्वक बातचीत की।

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ईरान में हुआ मजारी का जन्म
ईरान में जन्मी मजारी उन लोगों में से एक थी, जो सोवियत युद्ध के दौरान अफगानिस्तान से भाग गए थे। उन्होंने तेहरान यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किा फिर लंबे समय तक ईरान में रहीं। लेकिन अफगानिस्तान के लिए उसका प्यार उन्हें वापस बुलाता रहा। फिर साल 2018 में उन्होंने चाहर किंट जिले के लिए जिला राज्यपाल के पद के लिए मंशा जाहिर की। उनकी योग्यता के हिसाब से उन्हें ये पद दे दिया गया।

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तालिबान से लड़ी लड़ाई
द गार्जियन को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि शुरुआत में मुझे चिंता थी कि एक महिला राज्यपाल के रूप में मेरे साथ भेदभाव किया जा सकता है, लेकिन लोगों का प्रतिक्रिया देखकर मैं चौंक गई। जिस दिन चाहर किंट में जिला गवर्नर के रूप में मेरा स्वागत हुआ, उस दिन लोगों में मेरा जोरदार तरीके से स्वागत किया। 

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सलीमा के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने इलाके के आसपास फैले आंतकियों के खतरों से बचाना था।  2019 में मजारी ने एक सुरक्षा आयोग का गठन किया, जिसने जिले के लोगों को स्थानीय मिलिशिया में भर्ती करना शुरू किया। स्थानीय लोग ज्यादातर किसान, चरवाहे और मजदूर थे। यह जिले को बाहरी खतरों से बचाने के लिए किया गया था।

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