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जिस खूबसूरत घाटी को जीतने Taliban 'मरा' जा रहा; उसे क्रॉस करने पर गजनी के भी पसीने छूट गए थे
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पंजशीर वादी काबुल से 150 किमी उत्तर में हिन्दु कुश पर्वतों के पास स्थित है। इसका नाम पंजशीर नदी के नाम पर पड़ा है। यहां ताजिक समुदाय बड़ी संख्या में रहता है।
सही मायने में 'पंजशीर' 'पंज शेर' (पांच शेर) कहने का फ़ारसी लहजा माना जाता है। फारसी में 'शेर' का मतलब 'बाघ' की बजाए 'सिंह' (बब्बर शेर) होता है। कहते हैं कि इस घाटी का नाम पांच भाइयों के सम्मान में रखा गया था। उन्होंने 10वीं शताब्दी ईसवी में महमूद गजनी ले लिए यहां की दुर्गम नदी पर बांध बनवाया था, तब कहीं जाकर गजनी यहां से निकल पाया था।
पंजशीर घाटी में चांदी का बड़ा भंडार है। यहां रत्न भी खूब मिलते हैं। सफारी साम्राज्य और सामानी साम्राज्य अपने सिक्के यहीं गढ़ा करते थे। पंजशीर घाटी पन्ना उत्पादन का बड़ा केंद्र बनने की संभावना रखता है, लेकिन अकसर चलते रहने वाले युद्धों ने यहां के विकास का रास्ता रोक रखा है।
पंजशीर को 'लॉयन ऑफ़ पंजशीर' भी कहते हैं। 1979 में जब सोवियत संघ ने अफगानिस्तान में अपनी फौज भेजनी शुरू की, तब अहमद शाह मसूद ने इसके खिलाफ हथियार उठा लिए थे। उसी दौरान तालिबान का जन्म हुआ। इस समय पंजशीर में अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।
1996 में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था, लेकिन पंजशीर नहीं जीत पाए थे। 9 सितंबर 2001 में अल-कायदा और तालिबानी आतंकियों ने अहमद शाह मसूद की हत्या कर दी। इससे पहले 9/11 के बाद अमेरिका ने अहमद शाह मसूद के नॉर्दन एलायंस के साथ मिलकर तालिबान को उखाड़ फेंका था। बाद में उनकी हत्या कर दी गई।
पंजशीर घाटी प्राकृतिक रूप से बहुत खूबसूरत है। चूंकि यहां पहुंचने के लिए कई जोखिमभरे रास्ते से गुजरना पड़ता है, इसलिए तालिबान को इसे जीतना मुश्किल हो रहा है।