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4000 साल पहले ममी को पहनाई गई थी टाई, इस आदिवासी MP को टाई नहीं पहनने पर मिली यह सजा

ये हैं न्यूजीलैंड के आदिवासी सासंद राविरी वेइटिटि। इनके बगैर टाई संसद में आने से एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। यहां संसद में बिना टाई पहने कोई सांसद सरकार से सवाल नहीं पूछ सकता। राविरी ने जब टाई पहनने से मना किया, तो उन्हें बाहर निकलवा दिया गया। स्पीकर ने राविरी को पहले भी चेताया था। राविरी माओरी आदिवासी जाति से संबंध रखते हैं। वे सदन में सिर्फ लॉकेट पहनकर आए थे। स्पीकर ने उन्हे चैंबर में बुलाकर समझाया, लेकिन वे नहीं मानें। राविरी ने टाई को गुलामी की निशानी बताया है। राविरी ने दो टूक कहा कि उन्हें अपनी आदिवासी परंपरा से बहुत प्यार है, इसलिए वे लॉकेट (tanga) पहनेंगे। टाई (Necktie) बिलकुल नहीं। क्या आपको पता है टाई का जन्म कब हुआ था? अगर प्राचीन तौर पर बात करें, तो सबसे पहले टाई जैसा कपड़ा 4000 साल पहले सामने आया था। पुरातत्वविदों के अनुसार मिस्र में ममियों (Mummies) के गले में टाई को ताबीज के तौर पर पहनाया जाता था। आइए जानते हैं टाई की कहानी... 

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Asianet News Hindi
Published : Feb 09 2021, 02:39 PM IST
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पहले जानते हैं न्यूजीलैंड के सांसद राविरी वेइटिटि का मामला
राविरीमंगलवार को प्रश्नकाल में सवाल पूछने खड़े हुए। स्पीकर मलार्ड ने गौर किया कि राविरी ने टाई नहीं पहनी थी। यहां के नियमानुसार सांसदों को टाई पहनना अनिवार्य है। लिहाजा स्पीकर ने उन्हें सवाल पूछने से रोक दिया। इस पर राविरी और स्पीकर की बहस हो गई। बाद में राविरी को संसद से बाहर निकलवा दिया गया। बता दें कि राविरी माओरी जनजाति से आते हैं। उन्हें टाई गुलामी की प्रतीक लगती है। मार्च 2020 में जनगणना के मुताबिक, न्यूजीलैंड की जनसंख्या करीब 50 लाख है। इसमें माओरी जनजाति 7.75 लाख है। यह मूल रूप से पोलैंड की मानी जाती है।

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पिछले साल भी राविरी को इसके लिए टोका गया था
राविरी पिछले साल भी संसद में टाई पहनकर नहीं आए थे। स्पीकर के पूछने पर उन्होंने कहा था कि टाई पहनने का नियम काफी पुराना हो चुका है। यह तस्वीर पिछले साल की है। इसमें राविरी अपनी ही पार्टी की सांसद डेबी नारेवा पेकर के साथ खड़े हैं। इसमें पेकर ने टाई पहनी है, जबकि राविरी माओरी जनजाति का परंपरागत लॉकेट पहने दिखाई दे रहे हैं। अब जानते हैं टाई का इतिहास...

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माना जाता है कि टाई जैसे कपड़े का इतिहास 4000 साल पुराना है। ममियों के गले में जो ताबीज मिलते रहे हैं, वो एक टाई ही है। कहते हैं कि ओशियाना में अमेजन के जंगल में रहने वाले आदिवासी कपड़े तो कम पहनते थे, लेकिन वे टाई जैसा कपड़ा गले में जरूर लटकाते थे। यह फैशन था।

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1920 का दशक नेकटाई के फैशन में बढ़ते दखल का दौर था। तब टाई की डिजाइन में जबर्दस्त बदलाव हुए। 1924 में एक अमेरिकी दर्जी जेसी लैंग्सडॉर्फ ने टाई बनाने की प्रक्रिया का पेटेंट कराया था। 1950 के दशक में टाइट फिटिंग वाले कपड़ों के लिए स्किनी (Skinny) का जन्म हुआ। 2000-10 के बीच यूरोपियन डिजाइनरों ने नेकटाई की चौड़ाई को कम करके उसे आकर्षक रूप दे दिया।


(यह तस्वीर मशहूर कॉमिक अभिनेता चार्ली चैप्लिन की है, जो अकसर टाई में दिखते थे)

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वैसे माना जाता है कि टाई का प्रचलन यूरोप में सर्दी से बचाने के लिए किया गया था। लेकिन आज यह फैशन का अभिन्न अंग बन चुकी है। बताते हैं कि फ्रांस में 17वीं शताब्दी में 30 साल के युद्ध के दौरान नेकटाई का जन्म हुआ था। किंग लुई XIII (King Louis XIII) ने क्रोएशियाई (Croatian) सैनिक को भाड़े पर बुलाया था।  इन्होंने अपनी गर्दन पर कपड़े का टुकड़ा लपेटा हुआ था। युद्ध समाप्त होने के बाद रॉयल सभाओं में टाई अनिवार्य कर दी गई। क्रोएशियाई सैनिकों के सम्मान में इस कपड़े को ला क्रावेटे  (La Cravate) नाम दिया गया। बाद में फ्रांस में इसे नेकटाई कहने लगे। बुनी हुई टाई का दौर 2011 के बाद शुरू हुआ।

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