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श्रीलंका को 'खा' गया ड्रैगन, संडे हो या मंडे 515 रुपए में मिल रहे उबले अंडे, कर्ज लेकर देश चलाने का नतीजा

कोलंबो. करीब 22 करोड़ की आबादी वाले श्रीलंका के आर्थिक हालात बेहद खराब हो चुके हैं। यहां महंगाई 17.5 प्रतिशत पर पहुंच चुकी है, जो एशिया में सबसे ज्यादा है। इस वजह से सारा देश हिंसक आंदोलन पर उतर आया है। इस समय श्रीलंका 51 अरब डॉलर के कर्ज में डूबा है। यहां रहने वाले 5 लाख लोग गरीबी में फंस गए हैं। यहां का 70 प्रतिशत विदेशी मुद्रा भंडार घट गया है। पिछले एक महीने में 45 प्रतिशत करेंसी गिरी है। बता दें कि इस समय एक डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई रुपए की कीमत 292.50 पहुंच चुकी है। यहां 10 अरब डॉलर का व्यापारिक घाटा हुआ है।  मार्च में खाद्य मुद्रास्फीति(food inflation) को श्रीलंकाई ब्रेकफास्ट इंडेक्स पर मापा गया। यहां हर चीज  33-54% महंगी हो गई है। जैसे-चिकन करी कॉम्बो - 969 रुपए, उबले अंडे का कॉम्बो - 515 रुपए और टिन्ड फिश कॉम्बो - 866 रुपए में मिल रहा है। श्रीलंका चीन के अलावा भारत से भी कर्ज ले रहा है। लेकिन चीन उसे अपनी शर्तों पर सहायता मुहैया करा रहा है।

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Amitabh Budholiya
Published : Apr 01 2022, 12:54 PM IST| Updated : Apr 01 2022, 12:58 PM IST
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चरमपंथियों पर हिंसा फैलाने का आरोप
बता दें कि हफ्तों से भयंकर आर्थिक संकट से जूझ रहे लोगों ने गुरुवार देर शाम श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में विरोध प्रदर्शन किया। करीब 5,000 से अधिक लोगों ने राष्ट्रपति के घर के पास विरोध मार्च निकाला और मांग की कि राष्ट्रपति पद से हट जाएं। प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए। विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए अर्धसैनिक पुलिस इकाई, एक विशेष कार्य बल को बुलाना पड़ा है। इस मामल में 45 लोगों को गिरफ्तार किया गया (44 पुरुष और 1 महिला)। झड़पों में एएसपी सहित 5 पुलिस अधिकारी घायल हुए हैं। उपद्रवियों ने एक पुलिस बस, 1 पुलिस जीप, 2 मोटरबाइक जला दीं। वहीं, सरकार ने कहा कि विरोध प्रदर्शन एक चरमपंथी समूह द्वारा आयोजित किया गया था। अधिकांश अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

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लंबे समय से आर्थिक मंदी से जूझ रहा श्रीलंका
श्रीलंका आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक मंदी से जूझ रहा है। यहां खाद्य और आवश्यक वस्तुओं, ईंधन और गैस की गंभीर कमी हो गई है। गुरुवार को यहां डीजल नहीं था, इससे देश के 22 मिलियन लोगों को 13 घंटे बिजली नहीं होने पर ब्लैकआउट में गुजारने पड़े। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक मंत्री के हवाले से बताया कि बिजली बचाने के लिए स्ट्रीट लाइट बंद की जा रही हैं।
 

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पूरा परिवार चलाता है सरकार
कल शाम लोग राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे(President Gotabaya Rajapaksa) के घर के पास सड़क पर जमा हो गए थे। बता दें कि राष्ट्रपति के बड़े भाई महिंदा राजपक्षे प्रधान मंत्री के रूप में कार्य करते हैं, जबकि सबसे छोटे तुलसी राजपक्षे वित्त विभाग रखते हैं। सबसे बड़े भाई चमल राजपक्षे कृषि मंत्री हैं, जबकि भतीजे नमल राजपक्षे खेल मंत्रालय के कैबिनेट पद पर हैं। श्रीलंका की मौजूदा हालात की शुरुआत मार्च 2020 में आयात पर प्रतिबंध लगाने के लंका सरकार के फैसले के बाद हुई। यह कदम सरकार ने 51 अरब डॉलर के कर्ज के लिए विदेशी मुद्रा को बचाने के लिए उठाया था। लेकिन इससे आवश्यक वस्तुओं की बड़े स्तर पर कमी हो गई और कीमतें आसमान छू गईं।

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कर्ज लेकर घी पीना ले डूबा
श्रीलंका आज जिस आर्थिक संकट से गुजर रहा है, उसके लिए उसकी कर्ज लेकर घी पीने की सोच है। चीन से उधारी लेकर कैसे गले में फंदा डलता है, श्रीलंका दक्षिण एशिया के किसी भी देश के लिए एक उदाहरण है। चीन अपनी बेल्ट एंड रोड पहल(China’s Belt and Road Initiative) के तहत देशों को कर्ज दे रहा है। इसे  पहले वन बेल्ट वन रोड या संक्षेप में OBOR के रूप में जाना जाता था, लगभग 70 देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में निवेश करने के लिए 2013 में चीनी सरकार द्वारा अपनाई गई एक वैश्विक बुनियादी ढांचा विकास रणनीति(global infrastructure development strategy) है। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे यह स्वीकार कर चुके हैं कि उनके देश में 10 अरब डॉलर का व्यापार घाटा है।

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श्रीलंका की मौजूदा स्थिति ने तमाम छोटे देशों को सोचने पर विवश कर दिया है, जो चीन जैसे देशों से कर्ज लेकर अपनी अर्थ व्यवस्था संभालने की योजना बनाते हैं।

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About the Author

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Amitabh Budholiya
बीएससी (बायोलॉजी), पोस्ट ग्रेजुएशन हिंदी साहित्य, बीजेएमसी (जर्नलिज्म)। करीब 25 साल का लेखन और पत्रकारिता में अनुभव। एशियानेट हिंदी में जून, 2019 से कार्यरत। दैनिक भास्कर और उसके पहले दैनिक जागरण और अन्य अखबारों में सेवाएं। 5 किताबें प्रकाशित की हैं
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