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18 साल पहले की डरावनी कहानी: जब महिंदा राजपक्षे PM थे, तब भी श्रीलंका में आई थी मौत की सुनामी, PHOTOS
कोलंबो(Colombo). ये तस्वीरें श्रीलंका की हैं, जहां अब सड़कों पर सेना की गाड़ियां दिखाई दे रही हैं। आर्थिक संकट(economic crisis in sri lanka) से जूझ रहा श्रीलंका गृहयुद्ध के मुहाने पर पहुंच गया है। देश में हिंसा के बाद सरकार ने उपद्रवियों को गोली मारने का आदेश दिया है। इसका असर दिखाई दे रहा है। उपद्रव थम-सा गया है। श्रीलंका में हिंसा को रोकने के लिए लगाए गए राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू के बाद कोलंबो और उपनगरों की सड़कों पर श्रीलंकाई सैनिकों( military) की बड़ी उपस्थिति दिखाई दे रही है। सरकार समर्थकों( pro-government supporters) द्वारा कोलंबो में दो शांतिपूर्ण विरोध शिविरों गोटागोगामा और मैनागोगामा पर हमला बोलने के बाद सोमवार (9 मई) को हिंसा भड़क उठी थी। श्रीलंका सेना के विशेष बलों के कॉम्बैट राइडर्स स्क्वाड्रन(Combat Riders Squadron) के साथ ही बख्तरबंद कार्मिक वाहक कई क्षेत्रों में मोबाइल गश्त के लिए तैनात किए गए हैं। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और सेना के कमांडर(Chief of Defence Staff and Commander of the Army) जनरल शैवेंद्र सिल्वा(General Shavendra Silva) ने मीडिया से बात करते हुए लोगों से अपील की है कि बिना कोई खलल डाले अपने घरों में रहें। बता दें कि 18 साल पहले जब महिंदा राजपक्षे 2004 में श्रीलंका के 13वें पीएम बने थे, तब सुनामी(tsunami) ने देश में भारी तबाही मचाई थी। उस समय 40 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी।
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बता दें कि श्रीलंका में यह अशांति भोजन, ईंधन, दवाओं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी के कारण पैदा हुई है। इसके अलावा महीनों के ब्लैकआउट(बिजली संकट) ने इस दक्षिण एशियाई द्वीप राष्ट्र को 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद अब तक के सबसे बड़े संकट में डाल दिया है।
बहुत बड़ा नुकसान: General Kamal Gunaratne (Retd) ने कहा कि श्रीलंका में आगजनी के हमलों में निजी और सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान हुआ है। अभी इसका अनुमान लगाया जाना बाकी है। उन संपत्तियों के कई मालिक अभी भी अपनी जान के डर से छिपे हुए हैं।
जल्द ही नए प्रधानमंत्री के नाम की घोषणा:श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे(President Gotabaya Rajapaksa) ने 11 मई की रात देश को दिए अपने संबोधन में कहा कि वह जल्द ही नए प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल की घोषणा करेंगे। जिस व्यक्ति को अधिकांश सांसदों के साथ-साथ लोगों का विश्वास प्राप्त होगा, उसे प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाएगा। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि हिंसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जिसमें नौ लोग मारे गए और 300 घायल हो गए।
यह एक संगठित हमला:राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे(President Gotabaya Rajapaksa) ने कहा कि देश में कर्फ्यू लगाए जाने और तीनों बलों की तैनाती से पहले,पूरे देश में एक संगठित तरीके से हिंसा हुई थी। कुछ ही घंटों में एक सांसद समेत करीब 9 लोगों की बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। लगभग 300 अस्पताल में भर्ती हैं। साथ ही बड़ी संख्या में घरों में आग लगा दी। पूरे देश में लूटपाट शुरू हो गई।
उपद्रवियों पर सख्ती:राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे(President Gotabaya Rajapaksa) ने कहा कि तीनों सशस्त्र बलों और पुलिस को दंगाइयों के खिलाफ सख्ती से पेश आने का आदेश दिया गया है। इस घटना की योजना बनाने, समर्थन करने और इसे बढ़ावा देने वाले सभी लोगों के खिलाफ कानून के सख्ती से लागू करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
श्रीलंका में फंसे भारतीयों के लिए भारत सरकार ने हेल्पलाइन नंबर +94-773727832 और ईमेल ID cons.colombo@mea.gov.in किया है।
श्रीलंका सेंट्रल बैंक गवर्नर पी नंदलाल वीरसिंघे ने ऐलान किया है कि अगर 2 सप्ताह के भीतर देश में राजनीतिक स्थिरता नहीं आई, तो वे अपने पद से त्यागपत्र दे देंगे।
रक्षा सचिव कमल गुणरत्ने ने कहा कि कुछ मामूली घटनाएं हुई हैं। इधर, राष्ट्रपति कार्यालय से जारी एक बयान के अनुसार, श्रीलंका में 12 मई की सुबह 07 बजे से दोपहर 02 बजे तक के लिए कर्फ्यू में ढील दी गई। फिर 13 मई की सुबह 06 बजे तक कर्फ्यू जारी रहेगा।
आंदोलन की शुरुआत 31 मार्च को हुई थी, जब सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर उनके घर पर धावा बोला। फोटो क्रेडिट-newsfirst.lk
गवर्नमेंट मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन (GMOA) ने कहा कि अगर हिंसक स्थिति जारी रहती है, तो इससे अस्पतालों में मरीजों के दाखिले की संख्या में वृद्धि होगी, जो दवाओं और दवाओं की कमी को और बढ़ा देगा।