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Taliban क्या है और Afghanistan में क्या चाहता है? जानें वो कितना अमीर है और कहां से लाता है पैसा?
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तालिबान का क्या मतलब है? (who is taliban)
तालिबान पश्तो भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है ज्ञानार्थी। इसे एक तरीके का आंदोलन माना जाता है। एक सुन्नी इस्लामिक आधारवादी आन्दोलन है जिसकी शुरूआत 1994 में दक्षिणी अफगानिस्तान में हुई थी। इनके लड़ाकों को चरमपंथी इस्लामी आतंकवादी भी कहते हैं, जो अफगानिस्तान पर अपना सख्त धार्मिक कानून लागू करना चाहते हैं। ये वही लड़ाके हैं जिन्होंने 1970 और 1980 के दशक में अफगानिस्तान में सोवियत सेना से लड़ाई लड़ी थी। 1990 में तालिबान ने खुद को मजबूत किया। इन्होंने 1996 में अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति को भागने के लिए मजबूर किया।
तालिबान के खिलाफ अमेरिका का युद्ध
11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर हुए हमलों के बाद तालिबान के खिलाफ युद्ध शुरू हुआ, जिसमें लगभग 3,000 लोग मारे गए थे। इसके बाद तालिबान कुछ देर के लिए शांत हो गया। लेकिन उसने अमेरिका और अफगान सेना के खिलाफ 20 साल तक गुरिल्ला युद्ध लड़ा। तालिबान को बड़ी सफलता अमेरिका द्वारा हाल के महीनों में अपनी सेना वापस बुलाने के बाद मिली है। तालिबान के संस्थापक और नेता मुल्ला मोहम्मद उमर था, जो अमेरिकी हमले के बाद से कहीं छिप गया था। उनका ठिकाना इतना गुप्त था कि 2013 में उनकी मौत की पुष्टि उनके बेटे ने दो साल बाद की। तालिबान का नेतृत्व अभी उसके सर्वोच्च नेता, हिबतुल्लाह अखुंदजादा नाम का एक व्यक्ति कर रहा है।
तालिबान क्या चाहता है? उनके नियम क्या हैं?
तालिबान का कहना है कि महिलाएं बिना किसी पुरुष को साथ लिए घर से बाहर नहीं निकल सकती हैं। उनका सिर से पैर तक ढका होना जरूरी है। ऊपर से लेकर नीचे तक बुर्का पहनना है। महिलाओं को काम करने की अनुमति नहीं है। लड़कियां पढ़ाई नहीं कर सकती हैं। गैर-इस्लामी म्यूजिक और टेलीविजन पर रोक है। धार्मिक अदालतों ने चोरों के हाथ काटने, कोड़े मारने और रेप करने वाले लोगों को पत्थर मारकर मौत के घाट उतारने की सजा देने का प्रावधान है।
अमेरिका ने अपने सैनिक वापस क्यों बुला लिए?
अफगानिस्तान से अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने अपने सैनिक वापस बुला लिए, जिसके बाद से वहां तालिबान ज्यादा तेजी से एक्टिव हुआ। अमेरिका ने शुरू में 11 सितंबर तक अफगानिस्तान से पूरी तरह से अपनी सेना वापस बुलाने की घोषणा की। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उससे पहले ही अधिकांश अमेरिकी सैनिकों को वापस बुला लिया। तालिबान से युद्ध के दौरान 150,000 से अधिक लोग मारे गए। अमेरिका ने 2,000 से अधिक सैनिकों को खो दिया और खरबों डॉलर खर्च किए।
हजारों अफगान नागरिकों और सैनिकों ने अपनी जान गंवाई। पिछले महीने ही जो बाइडेन ने अफगान नेताओं से एक साथ आने और भविष्य की ओर बढ़ने का आह्वान किया। उन्हें उम्मीद थी कि अफगान सरकार और सुरक्षा बल अपना बचाव करने में सक्षम होंगे। हालांकि, यह उम्मीद टूट गई है, राष्ट्रपति अशरफ गनी रातों-रात देश से भाग गए और तालिबान आतंकवादी अब उनके महल के अंदर हैं।
तालिबान को पैसा कहां से मिलता है, कितना अमीर है?
वैसे 2021 का तालिबान अब 1990 की तुलना में बदल चुका है। हथियारों से लेकर गाड़ियों तक सब अलग है। साल 2016 में फोर्ब्स ने तालिबान को 10 आतंकवादी संगठनों में से पांचवें सबसे अमीर के रूप में बताया था। ISIS का उस समय 2 बिलियन अमरीकी डालर का कारोबार था और वह शीर्ष पर था। पांचवें नंबर पर तालिबान का साल का कारोबार $400 मिलियन था।
फोर्ब्स ने बताया था कि तालिबान को रेवेन्यू ड्रग ट्रेफेकिंग, प्रोटेक्शन मनी और डोनेशन के जरिए आता है। नाटो की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फाइनेंशियल ईयर 2019-20 में तालिबान का साल का बजट 1.6 बिलियन डॉलर था, जो 2016 के फोर्ब्स के आंकड़ों की तुलना में चार सालों में 400% बढ़ गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान खनन से $464 मिलियन, ड्रग्स से $416 मिलियन, विदेशी डोनेशन से $240 मिलियन, एक्सपोर्ट से $240 मिलियन, जबरन वसूली से $160 मिलियन, रियल एस्टेट से $80 मिलियन कमाता है।
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