सार
एक कहावत सुनी होगी- 'बाप-बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपय्या!' लेकिन ऐसा हर जगह लागू हो, यह भी मुमकिन नहीं। अब इस आदमी(लाल कपड़े) को देखिए। यह करोड़पति परिवार से ताल्लुक रखता है, लेकिन पागलों की तरह दर-दर की भीख मांगकर पेट पाल रहा था।
अंबाला, हरियाणा. पैसा जिंदगी के लिए तब तक महत्वपूर्ण हैं, जब तक कि आप खुद की अहमियत समझें। जैसे ही आप भटके, पैसा बेकार हो जाता है। एक कहावत सुनी होगी- 'बाप-बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपय्या!' लेकिन ऐसा हर जगह लागू हो, यह भी मुमकिन नहीं। अब इस आदमी(लाल कपड़े) को देखिए। यह करोड़पति परिवार से ताल्लुक रखता है, लेकिन पागलों की तरह दर-दर की भीख मांगकर पेट पाल रहा था। यह शख्स हरियाणा के अंबाला कैंट की पुरानी अनाज मंडी में मंदिर के बाहर बैठकर भीख रहा था। यह सिलसिला पिछले दो साल से चला आ रहा था। इस शख्स का नाम है धनंजय ठाकुर। दो बहनों के इकलौत भाई धनंजय को लोग जटाधारी बाबा कहकर बुलाने लगे थे।
सम्पन्न परिवार से ताल्लुक रखता है यह शख्स..
धनंजय के पिता राधेश्याम कोलकाता की एक बड़ी कंपनी के एचआर मैनेजर हैं। इसकी एक बहन नेहा लखनऊ में रहती है। वो अपने भाई को लेने अंबाला पहुंची थी। दरअसल, गुरुवार को चोट लगने पर पैर से खून बह रहा था। यह देखकर 'गीता गोपाल संस्था' के सदस्य साहिल ने उसका उपचार किया। इसी दौरान बातचीत के दौरान धनंजय की कहानी सामने आई। हालांकि धनंजय की मानसिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वो ज्यादा कुछ बता सके। लेकिन उसे एक मोबाइल नंबर याद था। साहिल ने जब यह नंबर डायल किया, तो वो आजमगढ़ में लगा। यह नंबर धनंजय के ताऊ शिशुपाल का था। उन्होंने बताया कि धनंजय उर्फ धर्मेंद्र दो साल से घर से गायब है। शुक्रवार को धनंजय की बहन नेहा उसे लेने पहुंची। जब बहन अंबाला पहुंची, तब धनंजय मंदिर के बाहर बैठा हुआ था। अपने भाई को इस हालत में देखकर बहन के आंसू निकल आए।
लाड-प्यार ने बिगाड़ दिया..
नेहा के मुताबिक, उसका भाई घर में लाडला था। इससे वो हठी हो गया। नशे की लत ने उसे इस हालत में लाकर छोड़ दिया। दो साल पहले वो घर से गायब हो गया था। नेहा ने बताया कि दो दिन पहले ही उसने बुआ से कहा था कि शायद भाई अब इस दुनिया में नहीं रहा। नेहा भाई की सलामती के लिए गुरुवार का व्रत रखती थी। इसलिए शायद गुरुवार को उसे भाई की सूचना मिली।