सार
हरियाणा में निजी क्षेत्र में आरक्षण की घोषणा करने के बाद एक दिन पहले पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। लेकिन अब मनोहर लाल खट्टर सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को चिनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है।
चंडीगढ़. हरियाणा में निजी क्षेत्र में आरक्षण की घोषणा करने के बाद एक दिन पहले पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। लेकिन अब मनोहर लाल खट्टर सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को चिनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है। साथ ही जल्द इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई की मांग की है।
हाईकोर्ट ने एक मिनट 30 सेकेंड में ही सुना दिया फैसला
दरअसल, हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाते हुए कहा- राज्य के हाई कोर्ट ने निजी क्षेत्र में आरक्षण वाले मामले पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। इतना ही नहीं इस केस में एक मिनट 30 सेकेंड की सुनवाई के बाद ही फैसला सुना दिया गया। राज्य सरकार के वकील की किसी दलील को नहीं सुना गया है। हाईकोर्ट का यह फैसला प्राकृतिक न्याय के भी खिलाफ है। इसलिए यह ज्यादा समय तक टिकने वाला नहीं। जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट इसको रद्द करे।
राज्य सरकार ने सोमवार को रखी सुनवाई की मांग
इस मामले में हरियाणा सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने CJI एन वी रमना को बताया कि अभी हाईकोर्ट ने सिर्फ रोक लगाई है, लेकिन आदेश नहीं आया है। इसलिए हम चाहते हैं कि इस मामले में सोमवार को सुनवाई की जाए। वहीं CJI ने इस पर कहा कि अगर फैसले की कॉपी आती है तो वह इस पर सुनवाई करेंगे।
सीएम ने कहा-हम कोर्ट में मजबूती से लड़ेंगे
वहीं इस पूरे मामले पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा-प्रदेश के युवाओं को नौकरियों में 75 फ़ीसदी आरक्षण कानून के लिए हम कोर्ट में मजबूती से लड़ेंगे और हरियाणा के युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।
हरियाणवी युवाओं को ही मिलेगा जॉब
इस कानून को राज्य मांग करने वाले और सबसे पहले इसकी पहल करने वाले राज्य के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने ट्वीट कर कहा- हम हरियाणवी युवाओं के रोजगार के अवसरों के लिए लड़ते रहेंगे #75% आरक्षण।
गुरुग्राम इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने की थी रोक की मांग
बता दें कि हरियाणा सरकार की अधिसूचना के तहत प्राइवेट नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना था। हरियाणा सरकार का यह आदेश 15 जनवरी 2022 से लागू किया गया था। जिसको लेकर गुरुग्राम इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने इस कानून के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। इसके तहत ही हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है।
इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने इसे अधिकारों का हनन कहा
इंडस्ट्रियल एसोसिएशन की याचिका में कहा गया है कि हरियाणा सरकार का यह फैसला योग्य लोगों के अधिकारों का हनन है। यह फैसला उन पढ़े-लिखे युवाओं के अधिकारों का हनन है जो कि अपनी योग्यता के आधार पर देश के किसी भी हिस्से में नौकरी करने के लिए आजाद हैं। एसोसिएशन के वकील ने कोर्ट में कहा कि ये कानून लागू होने से निजी क्षेत्र को नुकसान होगा और हरियाणा में अराजकता की स्थिति पैदा हो सकती है। ऐसी स्थिति में बाहर से आए लोगों को यहां से पलायन करना पड़ सकता है।
डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने पूरा किया था अपना वादा
बता दें कि हरियाणा में खट्टर सकरार की सहयोगी दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) ने चुनावों में स्थानीय लोगों को प्राइवेट नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण का वादा किया था। पिछले दिनों सीएम मनोहर लाल खट्टर ने चौटाला के इस वादे को पूरा करते हुए इसे अमल में लाने पर मुहर लगा दी थी। 15 जनवरी 2022 से लागू हुए इस कानून के तहत श्रम विभाग ने एक हेल्पलाइन नंबर के साथ एक समर्पित पोर्टल भी बनाया है। नए कानून के तहत कंपनियों को अब अपनी रिक्तियों को इस पोर्टल पर दिखाना है। सरकार इस पर नजर रखेगी। हालांकि अब आगे क्या होग यह सब सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद ही तय होगा
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