सार
हाल ही में एक महिला को ऐसी गंभीर बीमारी का पता लगा। जिसे वह मोटापा समझ रही थी और वह एक बड़ी गंभीर बीमारी निकली। जिसका अभी तक कुछ इलाज संभव नहीं है।
हेल्थ डेस्क: कहते हैं कि अगर किसी बीमारी का सही समय पर इलाज हो जाए तो उसे ठीक किया जा सकता है। लेकिन हाल ही में 36 साल की एक महिला ऐसी बीमारी से पीड़ित हो गई जिसका इलाज बेहद मुश्किल है। इसमें महिला को चलने फिरने में बहुत समस्या आ रही है। लंबे समय तक उसे लगता रहा कि यह उसका मोटापा है, लेकिन जब एक दुकानदार ने उसे बताया, तब पता चला कि यह एक गंभीर बीमारी है। आइए आज हम आपको बताते हैं इस महिला और इस बीमारी के बारे में...
कौन है यह महिला
थेरेसा फ्रेडेनबर्ग-हिंड्स (Theresa Fredenburg-Hinds) बचपन से ही मोटे पैरों से परेशान थी। उस लगा कि यह मोटापा है। कई बार उसने डॉक्टरों को दिखाया तो से यही बताया गया कि उसके पैर में चर्बी जमा हो रही है। लेकिन धीरे-धीरे उसके पैरों, जांघ और कूल्हे का आकार बढ़ता चला गया और यह इतने मोटे हो गए कि थेरेसा का चल पाना तक मुश्किल हो गया। एक दिन जब वो एक दुकान में गई, तब उस दुकानदार ने बताया कि यह कोई मोटापा नहीं बल्कि लिपोएडेमा (Lymphoedema) नामक बीमारी है। बाद में थेरेसा में भी इस बीमारी की पुष्टि हुई।
क्या थी समस्या
थेरेसा बताती हैं कि जब उन्हें लिपोएडेमा के बारे में पता चला तो उन्होंने ऑनलाइन सर्च किया। उन्होंने कहा कि पहले डॉक्टर ने यह कहा कि मैं मोटापे से ग्रसित हूं। लेकिन धीरे-धीरे मेरे पैर का आकार बढ़ने लगा और उसने मेरी जिंदगी को प्रभावित करना शुरू कर दिया। मैं ज्यादा देर तक खड़ी नहीं हो पाती थी। सीढ़ी चढ़-उतर नहीं पाती थी, क्योंकि मेरी लोअर बॉडी बहुत भारी थी। कुर्सी पर बैठना मेरे लिए मुश्किल था क्योंकि मैं उस में फंस जाती थी।
क्या होता है लिपिडेमा
लिपिडेमा एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के निचले हिस्से में अतिरिक्त चर्बी जमा हो जाती है। इसमें अक्सर जांघ और हिप शामिल होते हैं। लिपिडेमा मोटापे के कारण नहीं होता है लेकिन इस स्थिति के आधे से अधिक रोगी अधिक वजन वाले या मोटे होते हैं। लिपिडेमा का सटीक कारणों का खुलासा तो नहीं हुआ है। लेकिन स्थिति परिवारों में चलती है और विरासत में मिल सकती है। स्थिति लगभग विशेष रूप से महिलाओं में होती है।
लिपिडेमा के लक्षण
- नितंबों, जांघों, पिंडलियों और कभी-कभी शरीर का ऊपरी हिस्सा भी प्रभावित होता है। इसमें पैरों में सूजन आना, किसी हाथ में अधिक सूजन आना, प्रभावित हिस्से में दर्द होना, त्वचा मोटी होना आदि शामिल है।
- जैसे-जैसे स्थिति खराब होती जाती है, लिपिडेमा आपके चलने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है और त्वचा भी ढीली हो जाती है।
- समय के साथ, जैसे-जैसे अधिक वसा जमा होता है, यह लसीका मार्ग में बाधा पहुंचा सकता है। इससे लिम्फ नामक द्रव का निर्माण होता है। इस स्थिति को सेकेंडरी लिम्फेडेमा या लिपो-लिम्फेडेमा के रूप में जाना जाता है।
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