सार
अमेरिकन एकेडमी ऑफ एंटी-एजिंग मेडिसिन और भारत के स्मार्ट ग्रुप ने देश में पहले एंटी-एजिंग अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इसमें हेल्थ केयर और प्रिवेन्टिव मेडिसिन से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई।
हेल्थ डेस्क। अमेरिकन एकेडमी ऑफ एंटी-एजिंग मेडिसिन और भारत के स्मार्ट ग्रुप ने देश में पहले एंटी-एजिंग अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इसमें हेल्थ केयर और प्रिवेन्टिव मेडिसिन से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई। सबसे प्रमुख चर्चा इंटरमिटेंट फास्टिंग यानी समय-समय पर उपवास करने से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले अच्छे असर को लेकर हुई। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना था कि समय-समय पर उपवास करना वजन कम करने और शरीर को डिटॉक्सिफाई करने का बहुत पुराना तरीका है। आज के समय में ज्यादा से ज्यादा लोग हेल्थ को लेकर जागरूक होते जा रहे हैं और वे समय-समय पर उपवास करने की पद्धति को अपना रहे हैं। हेल्थ एक्पर्ट्स का कहना था कि आज करीब 30 से 40 फीसदी लोगों ने उपवास के इस तरीके को अपनाया है।
बता दें कि यह पहला अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस है, जिसका आयोजन अमेरिकन एकेडमी ऑफ एंटी-एजिंग मेडिसिन और स्मार्ट ग्रुप हेल्थ केयर ने प्रिवेन्टिव मेडिसिन को लेकर किया है। कॉन्फ्रेंस में करीब 300 डॉक्टर्स ने भाग लिया। कॉन्फ्रेंस में स्मार्ट ग्रुप के फाउंडर चेयरमैन डॉ. बी.के. मोदी ने कहा कि समय-समय पर उपवास करने की पद्धति हमारे देश में बहुत पहले से अपनाई गई है। बड़ी संख्या में लोग सप्ताह में एक दिन जरूर उपवास करते हैं। इससे वजन तो कम होता ही है, दूसरी कई पुरानी और खतरनाक बीमारियों से भी लड़ने में मदद मिलती है।
डॉ. बी.के. मोदी ने कहा कि एक बार जब लोग कुछ दिनों के अंतराल पर उपवास रखना शुरू करते हैं तो इसके कई फायदे देखने को मिलते हैं। इससे सिर्फ वजन ही कम नहीं होता, बल्कि इससे डाइजेस्टिव सिस्टम भी ठीक रहता है। इससे हार्मोनल संतुलन भी कायम रहता है।
स्मार्ट भारत की चेयरपर्सन प्रीति मल्होत्रा ने कहा कि प्रिवेन्टिव हेल्थ उपायों को अपनाने से लोगों की जीवन प्रत्याशा तो बढ़ती ही है, इससे सतर्कता के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी अच्छा असर होता है। उन्होंने कहा कि इससे सक्रिय जीवनशैली विकसित करने में मदद मिलती है।