सार

स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि एचआईवी और एड्स के इलाज के लिए अगले साल फरवरी में नई मेडिसिन लाई जाएगी। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि उसका लक्ष्य साल 2030 तक एचआईवी और एड्स को पूरी तरह समाप्त कर सतत विकास के लक्ष्य (Sustainable Development Goal) को हासिल करना है। 

हेल्थ डेस्क। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एचआईवी और एड्स के मरीजों के लिए एक नई दवा का इस्तेमाल किए जाने की घोषणा की है। डॉल्टेग्राविर (Dolutegravir) नाम की यह दवाई फरवरी, 2020 से बाजार में उपलब्ध हो सकेगी। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि उसका लक्ष्य साल 2030 तक एचआईवी और एड्स को पूरी तरह समाप्त कर सतत विकास के लक्ष्य (Sustainable Development Goal) को हासिल करना है।  

नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (नाको) के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉक्टर नरेश गोयल ने कहा कि पहले एचआईवी संक्रमण और एड्स के इलाज के लिए कॉम्बिनेशन ड्रग टीएलई का इस्तेमाल किया जा रहा था, लेकिन अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीएलडी कॉम्बिनेशन ड्रग के इस्तेमाल का निर्णय लिया है, जो ज्यादा प्रभावी है। इसके साइड इफेक्ट कम हैं और इसका टॉलरेन्स लेवल भी सही है। डॉल्टेग्राविर दवा के फायदे के बारे में बताते हुए अधिकारियों ने कहा कि मरीजों में इसका रेसिस्टेंस देर से होता है और यह ज्यादा बेहतर असर डालती है। इस दवा से वायरल इन्फेक्शन तेजी से खत्म होने लगता है। 

स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि अभी डॉक्टरों को यह ट्रेनिंग दी जा रही है कि इस दवा को मरीजों को कब और कैसे प्रिस्क्राइब करना है। जनवरी तक यह काम पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि फरवरी से यह नई दवा लॉन्च कर दी जाएगी। अधिकारियों का कहना था कि अभी एचआईवी पीड़ित लोगों की संख्या करीब 21 लाख, 40 हजार है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने अगले 10 वर्षों में यानी साल 2030 तक इस बीमारी पर काबू पाने और देश को एड्स की बीमारी से मुक्त कर देने का लक्ष्य तय किया है। 

1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि साल 2018-19 में एचआईवी-एड्स से पीड़ित लोगों में करीब 79 प्रतिशत को अपनी स्थिति के बारे में जानकारी थी। उन्होंने कहा कि 82 प्रतिशत एचआईवी पीड़ित लोगों को मुफ्त एंटीट्रोवाइरल थेरेपी दी जा रही थी और करीब 79 प्रतिशत लोगों में वायरस एक्टिव स्थिति में नहीं रह गया था। 

नाको के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, हर साल करीब 88 हजार एचआईवी संक्रमण के नए मामले आते हैं। नाको अपने मॉनिटरिंग मेकेनिज्म को और भी मजबूत बना रहा है। उसने इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से जुड़े 35 हजार रिपोर्टिंग यूनिट बनाए हैं। बता दें कि साल 1980 से ही नाको देश में एचआईवी और एड्स को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।