सार

मां के दूध को शिशुओं के लिए संपूर्ण आहार माना गया है। हाल में हुए एक शोध से पता चला है कि मां का दूध पीने वाले बच्चों का दिमागी विकास तेजी से होता है। 

हेल्थ डेस्क। मां के दूध को शिशुओं के लिए एक संपूर्ण आहार माना गया है। यह उन्हें पर्याप्त पोषण तो देता ही है, इससे उनकी इम्यूनिटी भी बढ़ती है और कई बीमारियों से बचाव होता है। पहले हर मां अपने बच्चों को कम से कम दो साल तक जरूर ब्रेस्ट फीडिंग कराती थी, लेकिन अब बदलती लाइफस्टाइल के कारण अक्सर माएं अपने बच्चों को जरूरत के मुताबिक ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करा पातीं। महिलाओं के मन में यह धारणा भी होती है कि इससे उनका फिगर सही नहीं रहेगा, लेकिन यह गलत धारणा है। ब्रेस्ट फीडिंग कराने से मां के फिगर पर कोई असर नहीं पड़ता। अभी हाल में हुई एक रिसर्च स्टडी से पता चला है कि मां का दूध पीना बच्चे के लिए बेहद जरूरी है। इससे उनका शारीरिक विकास तो होता ही है, दिमाग भी तेज होता है। 

कहां हुई रिसर्च
यह रिसर्च स्टडी अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में हुई है। इस शोध से पता चला है कि मां का दूध पीने से न सिर्फ शिशुओं का शारीरिक विकास होता है, बल्कि उनके दिमाग का भी तेजी से विकास होता है और उनमें समझने की क्षमता बढ़ती है। इसे संज्ञानात्मक विकास कहते हैं। इसके बिना किसी भी बात को ठीक से समझ पाना संभव नहीं हो पाता। जो बच्चे पर्याप्त मात्रा में मां की दूध नहीं पी पाते और बाजार के पैकेटबंद दूध पर निर्भर रहते हैं, आगे चल कर उनके बौद्धिक विकास में दिक्कत आती है।

कैसे हुई रिसर्च
इस रिसर्च में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 50 मांओं और उनके शिशुओं का अध्ययन किया। उन्होंने मां के दूध में मौजूद तत्वों और बच्चों को दूध कितने समय तक पिलाया गया, इसकी जानकारी हासिल की। जब उन बच्चों की उम्र दो साल हो गई तो बेले-3 स्केल की मदद से उनके संज्ञानात्मक विकास यानी समझने-बूझने की क्षमता का आकलन किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि मां के दूध में कार्बोहाइड्रेट के साथ ओलिगोसैकराइड 2 एफएल नाम का तत्व होता है, जो बच्चों के संज्ञानात्मक विकास में मददगार होता है।

क्या कहा प्रमुख शोधकर्ता ने
इस शोध के प्रमुख लेखक लार्स बोर्ड का कहना है कि उनकी टीम ने मां के दूध के कई सैंपल में ओलिगोसैकराइड 2 एफएल की पहचान की। उनका कहना था कि बच्चों के दिमागी विकास में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने बताया कि जन्म के बाद कम से कम एक साल तक नियमित तौर पर स्तनपान कराने से बच्चों का संज्ञानात्मक विकास सही तरीके से होता है। अगर एक साल से भी ज्यादा समय तक बच्चों को स्तनपान कराया जाए तो बच्चों के मानसिक विकास को और भी मजबूती मिलती है। लेकिन स्तनपान नहीं कराने पर बच्चे का मानसिक और बौद्धिक विकास मंद पड़ जाता है। यह रिसर्च प्लस वन नाम की मैगजीन में प्रकाशित हुई है।