सार

आज के दौर में सुसाइड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। कोरोना काल में लोगों ने सबसे ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की। भारत में यह आकंड़ा 2019 के मुकाबले 2022 में 10 गुना ज्यादा है। 

हेल्थ डेस्क. जब कोई शख्स आत्महत्या के बारे में सोचने लगता है तो उस स्थिति को सुसाइडल आइडिएशन (आत्महत्या का ख्याल) कहते हैं। ये ख्याल उस इंसान के मन में  बार-बार आता है जो अपने जीवन में काफी तनाव में, दर्द में होता है। हालांकि कुछ लोग इस ख्याल से खुद को बाहर निकाल लेते हैं। लेकिन कुछ तनाव को बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं और अपने हाथों जिंदगी को खत्म कर लेते हैं। माना जाता है कि लंबे वक्त के तनाव के बाद लोग इस तरह के कदम उठाते हैं। लेकिन हाल में जो स्टडी सामने आई है उसमें कुछ और भी बातें निकली है। जैसे मूड स्विंग भी सुसाइड का एक लक्षण है।

अमेरिकन फाउंडेशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन का कहना है कि 2020 में ग्लोबल स्तर पर 1.2 मिलियन यानी 12 लाख के करीब लोगों ने आत्महत्या करने की कोशिश की थी। भारत की बात करें तो यहां कोरोना काल में यानी साल 2020 में 1.53 लाख लोगों ने खुदकुशी की थी। जो साल 2019 से 10 गुना ज्यादा है। इसके पीछे कई कारण हैं।

आत्महत्या के कारण क्या होते हैं-
कुछ लोग जब लंबे वक्त तक निराशा में जिंदगी गुजारते हैं वो इस तरह के कदम उठा सकते हैं। परिवार की जिम्मेदारी उठाते-उठाते थक जाने पर भी लोग इस तरह के कदम उठाते हैं। पति-पत्नी के बीच लंबे वक्त तक चल रहा झगड़ा भी इस तरह का कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है। लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो जरा भी तनाव नहीं झेल पाते हैं और खुदकुशी कर लेते हैं। मूड स्विंग होने पर भी लोग सुसाइड कर लेते हैं।

लोगों के मनोभाव को पढ़ना जरूरी
आत्महत्या करने वाले लोगों के मनोभाव से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे क्या सोच रहे हैं। जरूरत है कि ऐसे लोगों पर नजर रखें जो तनाव से गुजर रहा हो। ताकि उसकी जान बचा सकते हैं। दरअसल, तनाव से जूझ रहे लोग कई बार बोलते नहीं हैं। वो आपके सामने हंसते दिखेंगे, लेकिन अंदर के काफी परेशान रहते हैं। तो जो भी आपके सामने है और उसकी स्थिति से अवगत हैं तो बात कीजिए उसका ख्याल रखिए।

खुदकुशी के बारे में सोचने वाले अजीब बर्ताव करने लगते हैं

नेचर मैगजीन में छपे आर्टिकल में न्यूपोर्ट हेल्थ केयर सेंटर के डायरेक्टर और क्लीनियक सायकोलॉजिस्ट का कहना है कि कुछ लोग आत्महत्या के बारे में सोचने हुए अजीब बर्ताव करते हैं। वो कम सोने लगते हैं। अपनी मनपसंद चीजों से दूर रहने लगते हैं। इसके साथ ही इंटरनेट पर खुदकुशी करने वाली चीजों के बारे में सर्च करते हैं।

खुदकुशी करने वाले लोग दो तरह के होते हैं

वहीं, अमेरिका में ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी में द सुसाइड एंड ट्राॅमा रिडक्शन इनिशिएटिव फॉर वेटरंस के क्लीनिकल डायरेक्टर जस्टिन बेकर ने बताया कि कुछ केस में देख गया है कि खुदकुशी पर विचार करने और लक्षण जाहिर के बीच ज्यादा लंबा वक्त नहीं होता है। कुछ लोग आत्महत्या के बारे में कई दिनों तक सोचते हैं। वहीं कुछ लोग मूड स्विंग होते ही खुदकुशी कर लेते हैं। मतलब आप उन लोगों को रोक सकते हैं जो खुदकुशी की प्लानिंग करते हैं। क्योंकि उनमें कुछ लक्षण दिख जाते हैं। लेकिन वैसे लोगों को रोकना मुश्किल होता है जो तुरंत ये कदम उठा लेते हैं।

तनाव में रहने वाला शख्स अचाना खुश हो जाए तो सतर्क होने की जरूरत

अमेरिकी एजेंसी सब्सटेंस अब्यूज एंड मेंटल हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन का मानना है कि आत्महत्या का लक्षण मूड स्विंग भी हो सकता है। इनकी मानें तो तनाव वाला व्यक्ति अगर अचानक खुश दिखाई देने लगे तो इसका मतलब है कि वो सकता है को खुदकुशी का फैसला कर लिया हो। जिसकी वजह से वो राहत महसूस करने लगे। इसके अलावा मौत को लेकर ज्यादा जुनून भी खुदकुशी की इच्छा पैदा कर सकता है। डिप्रेशन से ग्रसित लोगों में यह खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 15 से 19 साल के युवाओं के बीच मौत की चौथी सबसे बड़ी वजह आत्महत्या है। 

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