सार

गे, लेस्बियन, बायोसेक्सुलअल जैसे शब्द आम होते जा रहे हैं। इसके साथ ही जेंडर चेंज करवाने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रहा हैं। भारत में भी इसे लेकर यूं कहें तो क्रांति आ गई है। बिना किसी शर्म और डर के लोग जेंडर चेंज सर्जरी करा रहे हैं। लेकिन क्या लैंगिंग पहचान बदलना आसान है। चलिए बताते हैं।

हेल्थ डेस्क. राजस्थान में हाल ही में एक ऐसे कपल ने शादी  जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। दरअसल, एक महिला टीचर ने अपना जेंडर चेंज कराकर पुरुष बन गई और अपनी छात्रा के साथ शादी रचा ली। जेंडर चेंज प्रोसीजर के बारे में बताने से पहले बता दें कि फिजिकल एजुकेशन की टीचर मीरा और छात्रा कल्पना के बीच इश्क हो गया। दोनों ने शादी करने का फैसला किया। जेंडर की दीवार तोड़ने के लिए मीरा ने सर्जरी कराने का फैसला किया। साल 2019 के बाद उसने कई सर्जरी कराई और पुरुष बन गई। इसके बाद दोनों ने धूमधाम शादी की। तो क्या जेंडर सर्जरी कराना इतना आसान है। तो जवाब है नहीं, बहुत दर्दनाक और लंबी प्रक्रिया है। फीमेल से मेल बनने के लिए करीब 32 तरह की प्रक्रियाओं से गुजरना होता है।

शरीर से अलग खुद को महसूस करते हैं

जब कोई पैदा होता है और युवा अवस्था में पहुंचता है तो उसे लगाता है कि शरीर उसका कुछ और है और अंदर से वो कुछ और महसूस कर रहा है। जेंडर डायसफोरिया और जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर का अनुभव करते हैं। वो अपना फिजिकल अपीयरंस उनकी जेंडर आइडेंटिटी से मेल खाए।इस लिए वो सर्जरी कराते हैं।

पहला स्टेप-मनोवैज्ञानिक से लेना होता है सर्टिफिकेट

जेंडर चेंज सर्जरी काफी मुश्किल भरा होता है। ये काफी लंबी और दर्द से भरी प्रक्रिया होती है। पुरुष से फीमेल बनने के लिए 18 स्टेप से गुजरना पड़ता है। वहीं, फीमेल से मेल बनने के लिए 32 सर्जरी करानी पड़ती है। डॉक्टर सबसे पहले उन्हें मानसिक रूप से तैयार करते हैं। इसके लिए मनोरोग विशेषज्ञ से सहायता ली जाती है। जब मनोवैज्ञानि सर्टिफिकेट देते हैं सर्जरी के लिए तभी प्रोसीजर शुरू होता है।

दूसरा स्टेप- हार्मोनल थेरेपी शुरू की जाती है

इसके बाद हार्मोन थेरेपी होती है। इसमें लड़के को लड़की और लड़की को लड़के वाले हार्मोन दी जाती है। इंजेक्शन और दवाओं के जरिए उन्हें दी जाती है। डॉक्टर की मानें तो 3 से 4 डोज देने के बाद शरीर में हार्मोनल बदलाव होने लगते हैं। इसके बाद जेंडर चेंज सर्जरी शुरू होती है।

तीसरा स्टेप- प्राइवेट पार्ट को जोड़ा और हटाया जाता है

पुरुष या महिला के प्राइवेट पार्ट का शेप बदल दिया जाता है। अगर महिला पुरुष बनने के लिए सर्जरी करा रही होती है तो उसका ब्रेस्ट हटा दिया जाता है। इसके बाद उसी के मांस से पुरुष का प्राइवेट पार्ट सर्जरी के जरिए लगाई जाती है। जबकि पुरुष जो महिला के लिए सर्जरी करा रहे होते हैं उनका प्राइवेट पार्ट हटा दिया जाता है। इसके बाद उसके शरीर से मांस निकालकर ब्रेस्ट बनाया जाता है। इसके अलावा उसका प्राइवेट पार्ट डेवलप किया जाता है। 

ब्रेस्ट सर्जरी एक बार में नहीं होती है । उसके लिए तीन से चार बार ऑपरेशन करना पड़ता है और यह काफी लंबी प्रक्रिया होती है। इतना ही नहीं यह काफी महंगी प्रक्रिया होती है। जेंडर चेंज कराने के बाद भी लोगों को डॉक्टर के संपर्क में रहना पड़ता है। 

क्या होता है सामाजिक असर
जेंडर चेंज कराने के बाद ऐसा नहीं है कि लोगों को तुरंत उस रूप में लोग पहचानने लगते हैं। पहले तो कई कागजी कार्रवाई करनी पड़ती है । जिसमें अपनी पुरानी पहचान को नए पहचान के रूप में बदलना पड़ता है। इनका ही नहीं कई बार तो वो परिवार, नौकरी से भी दूर हो जाते हैं। क्योंकि परिवार उन्हें उस रूप में मंजूर नहीं करता है। जीवन साथी से भी अलगाव हो जाता है। वो खुद को पूरी तरह अकेला पाते हैं। हालांकि ऐसे लोगों को सपोर्ट की जरूरत होती हैं। सर्जरी के बाद ऐसे लोगों को शारीरिक और मानसिक रूप से देखभाल करने की जरूरत होती है। बता दें कि अमेरिका में हर साल करीब 100 से 500 लोग जेंडर सर्जरी कराते हैं। वहीं, दुनिया भर में इसकी संख्या पांच गुना या इससे ज्यादा हो सकती है। 

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