भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (Indian freedom movement) के दौरान कई ऐसे भी लोग थे जो भारत की आजादी के लिए लड़े थे। ऐसे ही एकमात्र क्रिस्चियन रहे टाइटस जो गांधीजी के साथ ऐतिहासिक दांडी यात्रा (dandi yatra) में शामिल रहे।
स्वतंत्रता सेनानियों में रास बिहारी बोस का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। उनका जन्म 1886 में कलकत्ता में हुआ था। उन्होंने आजाद हिंद फौज की स्थापना की थी और बाद में इसकी बागडोर नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सौंप दी थी।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अगस्त क्रांति का आह्वान अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का बिगुल था। इस आंदोलन में अरूणा आसफ अली भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नई धार दी। इस आंदोलन ने अंग्रेजों को यह एहसास दिला दिया कि भारत के लोग सिर्फ आजादी चाहते हैं।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की बात करें तो आदिवासी नेता तिरोत सिंह की बहादुरी को सभी भारतीय सलाम करते हैं। माना जाता है कि उनसे अंग्रेजी सेना भी खौफ खाती थी।
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जिन्होंने प्रतिशोध जताया, उनमें मराक्कर्स का नाम भी आता है। वे कभी पुर्तगालियों के सहयोगी थे लेकिन बाद में पक्के दुश्मन बन गए।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में कई महान लोगों ने योगदान दिए हैं। ऐसे ही एक क्रांतिकारी विचारक और प्रख्यात वैज्ञानिक थे पीसी रे, जिन्होंने भारतीय जनमानस को राष्ट्रवाद की भावना से ओतप्रोत किया।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में कवि प्रदीप का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है। उन्होंने ऐसी-ऐसी रचनाएं की जिसने भारतीय जनमानस को जगाने का काम किया।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास देश को आजादी दिलाने वाले दीवानों से भरा पड़ा है। ऐसे ही एक महान क्रांतिकारी थे वीओ चिदंबरम पिल्लई (Valliyappan Olaganathan Chidambaram Pillai ) जिन्होंने अंग्रेजों के कारोबार को तहस-नहस करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
गुजरात के किसानों के एक गांव से शुरू हुआ बारडोली सत्याग्रह जल्द ही पूरे देश की आवाज बन गया। बारडोली आंदोलन ने देश में राष्ट्रीय आंदोलन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आज हम देश के बारे में चिंतन करते हैं तो लगता है हिंदू-मुस्लिम एकता के बीच गहरी खाई पैदा हो गई। लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब अंग्रेजों के खिलाफ हिंदू-मुस्लिम एकता ने मिसाल कायम की थी।