सार

कोमालिका के पिता  घनश्याम बारी चाय बेचकर अपने परिवार का खर्च चलाते थे। कोमालिका का जन्म 5 फरवरी 2002 को झारखंड के जमशेदपुर में हुआ। कोमालिका बारी वर्ष 2021 में विश्व यूथ आर्चरी की चैंपियन बनी

रांची. पिता के सम्मान के लिए 19 जून को दुनियाभर में फॉदर्स डे (father's day 2022) मनाया जा रहा है। पिता अपने बच्चे के लिए फ्यूचर के लिए कई तरह की परेशानियां उठाते हैं। पिता का एक ही सपना होता है कि उनके बच्चे कामयाब हों। उन्हें जिंदगी के सफर में कामयाबी मिले। हए आपको एक ऐसे ही पिता की कहानी बता रहे हैं जो जिसने अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए अपना घर तक बेच दिया। पिता को अपनी बेटी की काबिलियत पर पूरा भरोसा था। बेटी भी पिता के भरोसे पर खरी उतरी। हम बात कर रहे हैं। तीरंदाज प्लेयर कोमालिका बारी (Komalika Bari) की।  

चाय की दुकान चलाते थे पिता
कोमालिका के पिता  घनश्याम बारी चाय बेचकर अपने परिवार का खर्च चलाते थे। कोमालिका का जन्म 5 फरवरी 2002 को झारखंड के जमशेदपुर में हुआ। कोमालिका का बचपन से ही तीरंदाजी से लगाव था। जब वह छोटी थी तब वह लकड़ी के तीर-धनुष बनाकर खेलती थी। जैसे-जैस कोमालिका बढ़ी होती गई उनका लगाव तीरंदाजी के लिए बढ़ता गया।

पहली बार 5 हजार में खरीदा था धनुष
कोमोलिका के पिता ने बेटी के जुनून को देखते हुए ही पहली बार 5000 रुपए धनुष खरीदा था। इसी धनुष से कोमालिका ने प्रतियोगिताओं में शामिल होने के लिए तैयारी शुरू कर दी। लेकिन इस लड़की के धनुष के सहारे वो नेशनल औऱ इंटरनेशन लेवल की प्रतियोगिता में शामिल नहीं हो सकती थीं। उन्होंने अपने पिता को बताया कि नेशनल खेलने के लिए हाइटेक धनुष होना चाहिए। ऐसे में पिता ने बेटी के सपने को पूरा करने के लिए अपना मकान बेच दिया और उन्हें धनुष दिलाया। 

बेटी ने भी लहराया परचम
बेटी कोमालिका ने भी अपने पिता के त्याग को नहीं भूलीं और जी जान लगाकर प्रैक्टिस करती रहीं। कोमालिका बारी वर्ष 2021 में विश्व यूथ आर्चरी की चैंपियन बनी। कोमालिका  विश्व युवा तीरंदाजी चैंपियनशिप में विश्व खिताब जीतने वाली  तीसरी भारतीय खिलाड़ी हैं।

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