सार
झारखंड कैडर के IPS अधिकारी इंद्रजीत माहथा (IPS Indrajeet Mahatha) के पिता ने अपने बेटे के लिए अपनी जमीन बेच दी। इंद्रजीत का बचपन गरीबी में बिता। उन्होंने पुरानी किताबें खरीद कर पढ़ाई की।
करियर डेस्क. 19 जून को दुनिया भर में पिता के सम्मान के लिए फादर्स डे (fathers day 2022) मनाया जाएगा। पिता के सम्मान में हर साल जून महीने के तीसरे सप्ताह को फादर्स डे के रूप में मनाया जाता है। फादर्स डे की शुरुआत सोनोरा स्मार्ट डॉड ने की थी। पिता के बारे में कुछ भी लिखना और बता पाना बहुत मुश्किल काम होता है। फादर्स डे के मौके पर हम आपको एक ऐसे पिता की कहानी बता रहे हैं। जिन्होंने अपने बेटे का सपना पूरा करने के लिए अपने जीवन में कई दिक्कतों का सामना किया। उन्हें अपने बेटे की काबियलत पर भरोसा था इसलिए उन्होंने उसके सपने को पूरा करने के लिए अपनी सारी जमीन बेच दी थी। आज उसस पिता का बेटा IPS अधिकारी है। हम आपको बता रहे हैं। झारखंड कैडर के IPS अधिकारी इंद्रजीत माहथा (IPS Indrajeet Mahatha) के पिता की।
इंद्रजीत का बचपन गरीबी में बीता था। उनका जन्म झारखंड के बोकारो जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम पिता प्रेम कुमार सिंहा था। इंद्रजीत जब पंचवी क्लास में थे तो उन्होंने अधिकारी बनने का सपना देखा था। उनके इस सपने को पूरा करने में उनके पिता ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई। इंद्रजीत पुरानी किताबों के सहारे अपनी पढ़ाई पूरी करते थे। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की। गरीबी के बाद भी उनके पिता ने पैसों को लेकर उनके जीवन में कोई कई नहीं आने दी।
जब इंद्रजीत UPSC की तैयारी कर रहे थे तो उनके पिता ने उनकी तैयारी के लिए अपनी जमीन बेच दी थी। लेकिन जब उन्हें पहले साल UPSC एग्जाम क्लियर नहीं हुआ तो वो परेशान हो गए थे। ऐसे में पिता ने अपने बेटे की हिम्मत बढ़ाते हुए कहा था कि बेटे तुम तैयारी करो। अभी तो जमीन बिकी है मैं तुम्हारे लिए अपनी किडनी तक बेच दूंगा। पिता ने बेटे को हौसला दिया कि उनकी पढ़ाई में पैसे की कोई दिक्कत नहीं होगी। उसके बाद उन्होंने तैयारी जारी रखी और दूसरे साल उन्होंने UPSc एग्जाम को क्लियर कर लिया।
दिल्ली से किया ग्रेजुएशन
इंद्रजीत 12वीं क्लास की पढ़ाई पूरी करने के बाद ग्रेजुएशन के लिए दिल्ली गए थे तब भी उनके सामने पैसों की दिक्कत थी। लेकिन पिता ने हार नहीं मानी और बेटे की पढ़ाई के लिए अपनी जमीन बेचना शुरू कर दिया था। उन्हें अपने बेटे की काबिलियत पर पूरा भरोसा था।
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