सार
हजारीबाग में धनरोपनी शुरू करने की संस्कृति अनोखी है। यहां परंपरा है कि पहले गांवाट की पूजा की जाती है। तब धनरोपनी शुरू होती है। कुलदेवता को महुआ शराब को टपान से पूजा पाठ करते हैं। उसके बाद धान की खेती शुरू होती है।
हजारीबाग. झारखंड में अनेकों प्रकार की परंपराएं और मान्यता प्रचलित हैं। यहां के आदिवासी समुदायों की अपनी अलग-अलग परंपरा होती है। राज्य के जनजातीय समुदायों की अलग-अलग कार्यक्रमों में चाहे नृत्य की परंपरा हो चाहे संगीत ही या फिर खेती करने के लिए प्रचलित परंपराएं हो, सभी अपने अपने आप में अलग और अनोखी होती है। राज्य के किसान खेती की शुरुआत, फसल की कटाई या फिर अच्छी फसल की कामना के लिए अलग-अलग परंपराएं निभाते हैं। इसी क्रम में झारखंड के हजारीबाग में धान की रोपाई के दौरान एक अनोखी परंपरा प्रचलित है।
कुलदेवता को महुआ शराब चढ़ाने के साथ देते हैं मुर्गें की बलि
हजारीबाग में धनरोपनी शुरू करने की संस्कृति अनोखी है। यहां परंपरा है कि पहले गांवाट की पूजा की जाती है। तब धनरोपनी शुरू होती है। इस दिन लोग अपने-अपने घरों में अपने गांवाट एवं कुलदेवता को महुआ शराब को टपान से पूजा पाठ करते हैं। कुछ लोग घरों में मुर्गा की बलि भी देते हैं। खेतों में अरवा-चावल-गुड़ और दूध से पूजा की जाती है। इसे पचाठी कहा जाता है। बड़कागांव के पंडरिया के ग्राम नायक जेठी गंझू द्वारा पूजा-अर्चना करने के बाद धनरोपनी शुरू होती है। इस बार भी बड़कागांव में गांवाट की पूजा की गई। इसके बाद ही धनरोपनी शुरू हुई। धनरोपनी के दौरान महिलांए खेतों में कजरी गीत भी गाती है।
खेतों में धनरोपनी गीत गाती है महिलाएं
किसान बेसब्री से बारिश का इंतजार करते हैं। बारिश के बाद सभी धान की रोपाई में लग जाते हैं। पुरूषों के साथ-साथ महिलाएं भी इसमें शामिल होती हैं। खेतों में ढोल नगाड़ों के साथ नृत्य और झूमर किया जाता है। महिलाएं धान के खेतों में रोपनी व कजरी गीत गाती है।
राज्य में कम बारिश से इस बार धान की खेती प्रभावित
मानसून में कम बारिश होने से राज्य में सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई है। राज्य के किसान चिंतित है। समय पर बारिश नहीं होने से धान की खेती का समय निकला जा रहा है। किसान दलहन और तिलहन की फसलों में मक्का, अरहर आदि की फसलें लगाए हैं।
राज्य में सामान्य से 50 प्रतिशत कम हुई बारिश
झारखंड में मानसून की बारिश सामान्य से 48% कम हुई है तो 24 में से 22 जिलों में सामान्य से काफी कम बारिश अभी तक हुई है। चतरा, गढ़वा, पलामू, साहिबगंज, पलामू सहित कई जिलों की हालत काफी खराब है। ऐसे में कम वर्षा की वजह से राज्य में जहां अभी तक करीब 15% धान का आच्छादन यानि रोपनी हुई है तो खरीफ फसल की कुल मिलाकर 25% के करीब ही आच्छादन हुआ है।
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