सार

देश के सबसे बड़े और बहुचर्चित चारा घोटाले के एक केस डोरंडा ट्रेजरी मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। इस मामले में दोषी पाए गए बिहार (Bihar) के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ( lalu prasad yadav) को 5 साल की सजा सुनाई गई है।

रांची : देश के सबसे बड़े और बहुचर्चित चारा घोटाले के एक केस डोरंडा ट्रेजरी मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। इस मामले में दोषी पाए गए बिहार (Bihar) के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ( lalu prasad yadav) को 5 साल की सजा सुनाई गई है। साथ ही 60 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। वह 139 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के मामले में 15 फ़रवरी को ही दोषी करार दिए जा चुके हैं। बता दें कि CBI के विशेष जज एसके शशि ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सजा का ऐलान किया है। इस वक्त लालू यादव रांची के रिम्स में भर्ती हैं।

क्या है डोरंडा कोषागार निकासी मामला
950 करोड़ रुपए के देश के बहुचर्चित चारा घोटाले में सबसे बड़े डोरंडा ट्रेजरी से निकासी मामला है। इसमें 139.35 करोड़ रुपए का गबन किया गया था। 1990-92 के बीच चाईबासा ट्रेजरी से अफसरों और नेताओं ने मिलकर फर्जीवाड़ा करते हुए अवैध निकासी की थी। इस मामले में 1996 में केस दर्ज हुआ था। इस केस में 10 महिलाएं भी आरोपी है। मामले में चार राजनीतिज्ञ, दो वरीय अधिकारी, चार अधिकारी, लेखा कार्यालय के छह, 31 पशुपालन पदाधिकारी स्तर के और 53 आपूर्तिकर्ता आरोपी बनाए गए हैं। अब मामले में लालू यादव समेत 99 आरोपी हैं।  

ऐसे लिखी गई थी पूरी स्क्रिप्ट
जांच रिपोर्ट में बताया गया था कि पशुपालन विभाग के पदाधिकारियों-कर्मचारियों, राजनेताओं और आपूर्तिकर्त्ताओं ने फर्जीवाड़े का अनोखा फॉमूर्ला तैयार किया था। घोटाले में कुछ ऐसे दस्तावेज भी सीबीआई को हाथ लगे थे जिसमें 400 सांड़ को हरियाणा और दिल्ली से कथित तौर पर स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक ढोया गया था। बता दें कि फर्जी बिल के आधार पर पशुपालन विभाग ने 1990-92 के दौरान 2,35, 250 रुपए में 50 सांड़, 14, 04,825 रुपए में 163 सांड़ और 65 बछिया खरीदीं थीं। कुल मिलाकर करोड़ों रुपये की निकासी की गई थी। इन वाहनों के नंबर छानबीन सामने आए थे।

15 साल, 575 गवाह 
डोरंडा कोषागार मामले में 575 गवाहों का बयान दर्ज कराने में CBI को 15 साल लग गए। 99 आरोपियों में 53 आरोपी आपूर्तिकर्ता हैं, जबकि 33 आरोपी पशुपालन विभाग के तत्कालीन अधिकारी और कर्मचारी हैं। वहीं, 6 आरोपी तत्कालीन कोषागार पदाधिकारी हैं, जबकि मामले के 6 आरोपी ऐसे हैं, जिन्हें CBI आज तक नहीं खोज सकी है। बता दें कि 90 के दशक का सबसे बड़े घोटाले में झारखंड (Jharkhand) में 53 मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें यह 52वां केस है। इस मामले में 29 जनवरी को CBI के विशेष न्यायाधीश एसके शशि की अदालत में बहस पूरी हो गई थी। इसके बाद कोर्ट ने 15 फरवरी को फैसले की तारीख तय की थी। इसके बाद उनके वकील के अनुरोध पर उन्हें जेल न भेजकर RIMS में भेजा गया। लालू कागजी प्रक्रिया पूरी करने के लिए कोर्ट से होटवार जेल गए फिर वहां से रिम्स चले गए। 21 फरवरी तक वह यहीं रहेंगे।

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अब तक लालू यादव 6 बार जेल भी जा चुके
चारा घोटाले के चार अन्य मामलों में लालू दोषी करार दिए जा चुके हैं। उनसे जुड़ा यह पांचवां केस है। इससे पहले चाईबासा ट्रेजरी से जुड़े 2 केस और देवघर- दुमका के एक-एक केस में लालू को सजा मिल चुकी है। सीबीआई की अलग-अलग अदालतों ने लालू प्रसाद और अन्य आरोपियों को दोषी माना है। अब तक लालू यादव 6 बार जेल भी जा चुके हैं। अभी दुमका ट्रेजरी मामले में जमानत पर बाहर हैं।

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लालू पर पहला केस
चारा घोटाले से जुड़े चाईबासा ट्रेजरी मामले में साल 2013 में लालू प्रसाद यादव को कोर्ट ने सजा सुनाई थी।  CBI की स्पेशल कोर्ट ने 30 सितंबर 2013 को सभी 45 आरोपियों को दोषी ठहराया था। लालू समेत इन आरोपियों को चाईबासा ट्रेजरी से 37.70 करोड़ रुपए अवैध तरीके से निकालने का दोषी पाया गया था। इस मामले में 3 अक्टूबर 2013 को कोर्ट ने सजा सुनाई थी। लालू प्रसाद को पांच साल की सजा हुई थी।

लालू यादव पर दूसरा केस
देवघर ट्रेजरी से फर्जी तरीके से 84.5 लाख रुपये अवैध निकासी मामले में लालू प्रसाद को 23 दिसंबर 2017 को दोषी ठहराया गया था और 6 जनवरी को साढ़े तीन साल कैद की सजा सुनाई गई थी। इसके साथ ही उन पर पांच लाख का जुर्माना भी लगाया गया था।

तीसरा केस 
चाईबासा ट्रेजरी से 1992-93 में 67 फर्जी आवंटन पत्र के आधार पर 33.67 करोड़ रुपए की अवैध निकासी की गई थी। इस मामले में 1996 में केस दर्ज हुआ था। जिसमें कुल 76 आरोपी थे। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 24 जनवरी 2018 को लालू को दोषी करार देते हुए पांच साल की सजा सुनाई। सजा के साथ-साथ 10 लाख का जुर्माना भी लगा।

चौथा केस
ये मामला दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 के बीच दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपए फर्जी तरीके से निकालने का है। सीबीआई कोर्ट ने 24 मार्च 2018 को लालू प्रसाद यादव को इस मामले में अलग-अलग धाराओं में सात-सात साल की सजा सुनाई थी।

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