सार
गिरिडीह (झारखंड). एक ओर जहां लोग धर्म के नाम पर आए दिन एक-दूसरे के खून के प्यासे हैं। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति दूसरे धर्म के व्यक्ति की जान बचाने के लिए अपना खून दान करें तो इससे बढ़कर इंसानियत और कुछ नहीं हो सकती। ऐसी ही मानवता की मिसाल पेश की है, झारखंड के सलीम अंसारी ने, जिसने अपना रोजा तोड़कर एक हिंदू बच्चे को खून देकर उसकी जिंदगी बचाई।
गिरिडीह (झारखंड). लॉक डाउन के बीच झारखंड के गिरिडीह जिले से एक सुखद खबर सामने आई है। मानवता की मिसाल पेश करते हुए सलीम अंसारी नाम के शख्स ने अपना रोजा तोड़कर एक हिंदू बच्चे को खून देकर उसकी जिंदगी बचाई।
दरअसल, सलीम अंसारी ने हजारीबाग के सरकारी अस्पताल जाकर गांव के बच्चे निखिल की जान बचाई। बता दें कि निखिल निमोनिया से पीड़ित है, उसे ब्लड की जरूरत थी। सलीम ने पहले अस्पताल पहुंचकर अपना रोजा तोड़ा, फिर जिंदादिली दिखाकर मासूम की जिंदगी बचाई।
बल्ड बैंक में भी नहीं मिल रहा था खून
पीड़ित बच्चे के परिजनों ने बताया कि निखिल को लगातार ब्लड की जरूरत पड़ रही थी। डॉक्टरों ने शुक्रवार को खून चढ़ाने को कहा, लेकिन लॉकडाउन के चलते किसी भी ब्लड बैंक में खून नहीं मिला। हम सब परेशान हो गए, फिर जैसे ही इस बात की जानकारी सलीम को हुई वह अस्पातल पहुंचा और खून दिया।
खुदा की भी यही मर्जी होगी
सलीम ने कहा- किसी की जान बचाने से बड़ी इबादत क्या हो सकती है। मुझे इस बात की खुशी है कि मेरे खून से किसी की जिंदगी बच गई। शायद खुदा भी यही चाहता होगा।