सार
भगवान गणेश ने अपने माता पिता की परिक्रमा कर ये पूरे जगत को ये संदेश दिया। कि माता पिता ही जगत का आधार हैं। वे ही पूरी पृथ्वी हैं। आइये जानतें है गणपति से कैसे सीखें लाइफ मनैजमैंट के गुर।
वीडियो डेस्क। 31 अगस्त को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा। भगवान गणेश प्रथम पूजनीय हैं वे विघ्नों को हरने वाले देव हैं। भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं। रिद्धि सिद्धी के दाता हैं। इनकी पूजा करने से किसी भी कार्य में कोई विघ्न पैदा नहीं होता। भगवान गणेश विद्या और बुद्धि के देवता है। कहा जाता है कि अगर चतुर्थी के दिन बिना कुछ खाए पीए भगवान गणेश की श्रृद्धा पूर्वक पूजा की जाए तो भगवान गणेश विद्या का दान देते हैं। गणपति गणेश बड़े सिर वाले हैं, गजानन हैं, ऊंचा माथा है, बड़े बड़े कान हैं एक दांत, मोटा पेट और लंबी सूंड है। बप्पा का जीवन और उनका शरीर हमें लाइफ मेंनेजमेंट के गुर सिखाता है।
कहा जाता है कि एक बार कार्तिकेय और भगवान गणेश दोनों अपनी शादी कराने के लिए अड़ गए। माता गौरी ने शर्त रखी जो पुत्र पहले पूरी पृथ्वी की परिक्रमा कर वापस लौटेगा उस का विवाह पहले किया जाएगा। कार्तिकेय भगवान पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए निकल गए लेकिन भगवान गणेश ने अपने माता पिता की परिक्रमा कर ये पूरे जगत को ये संदेश दिया। कि माता पिता ही जगत का आधार हैं। वे ही पूरी पृथ्वी हैं। आइये जानतें है गणपति से कैसे सीखें लाइफ मनैजमैंट के गुर।
1. भगवान गणेश की सिर बड़ा और माथा ऊंचा है। जिसका अर्थ है कि बड़ा सोचें। इधर उधर की बातों को दिमाग से निकालें और अपने काम पर फोकर करें।
2. भगवान गणेश गजानन हैं जिसके कान सूपे जैसे बड़े हैं। इसका अर्थ है आप सिर्फ मतलब की बातों को ग्रहण करें बाकी जैसे सूप छिलके बार छोड़ देता है वैसे छोड़ दें।
3. भगवान गणेश की आखें बताती हैं कि जीवन में सूक्ष्म दृष्टि रखनी चाहिए।
4. सूंड दूरदर्शिता का प्रतीक है और एक आधा टूटा दांत प्रतीक है कि जीवन में कोई ना कोई कमी रहती ही है लेकिन हमें सकारात्मकता के साथ जीवन में आगे बढ़ना चाहिए।
5. भगवान गणेश बड़े पेट वाले हैं। जो हमें सिखाते हैं कि पेट समुद्र की तरह होना चाहिए। जिसमें अच्छी बुरी हर बात समा जाए।
6. रिद्धि सिद्धि के साथ भगवान गणपति सिखाते हैं कि जिसके बाद बुद्धि और विद्या है उसी के पास सुख और शांति हैं। इसलिए बुद्धि का सदुपयोग करें।
7. बैठे हुए गणपति के पैर जमीन को छूते हैं जो हमें बताते हैं कि आसमान को छू लेने के बाद भी जमीन का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।
8. गणपति चूहे की सवारी करते हैं। वे सीख देते हैं कि संसार में कोई भी चीज छोटी या व्यर्थ नहीं समझनी चाहिए।