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एग्जाम, कंपटीटिव और फैमिली प्रेशर की वजह से छात्रों का बिगड़ रहा मेंटल हेल्थ, टेंशन से निपटने में ये 7 टिप्स करेगी मदद
mental health tips for students:आज के दौर में छात्रों पर एग्जाम और प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर ज्यादा प्रेशर बढ़ गया है। इतना ही नहीं माता-पिता की अपेक्षाओं की वजह से भी वो टेंशन में रहते हैं। जिसकी वजह से उनका मानिसक स्वास्थ्य खराब हो जाते हैं।
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हमारे यहां सफलता का पैमाना शानदार ग्रेड के रूप में माना जाता है। उन्हें पाने के लिए एक छात्र अक्सर चिंता, तनाव और कई मामलों में अवसाद से गुजरता है।हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि हर साल परीक्षा के पहले और बाद में बड़ी संख्या में छात्र चिंता और तनाव से पीड़ित होते हैं। उनमें से ज्यादातर तैयारी के लंबे घंटों और भविष्य को लेकर अनिश्चितता के कारण बर्नआउट का शिकार होते हैं। एग्जाम के बाद तनाव से निपटने के लिए काउंसलिंग की जरूरत होती है। कई बार तो दवाओं की जरूरत पड़ जाती है। इतना ही नहीं कई बार तो वो एग्जाम का रिजल्ट अच्छा नहीं आता है तो सुसाइड कर लेते हैं।
दिमाग को ब्रेक की होती है जरूरत
दिन भर पढ़ाई, माता-पिता का दबाव, असफलता का डर, मनोरंजन से दूरी कई चीजें होती हैं तो छात्रों के मानिसक स्वास्थ्य (mental health) प्रभावित करता है। छात्र अक्सर एक परीक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपने जीवन के अन्य पहलुओं का त्याग करते हैं। इस तथ्य को नहीं भूलना चाहिए कि हमारे दिमाग को ब्रेक की जरूरत होती है। यह 24X7 काम नहीं कर सकता। तस्वीर उस वक्त और खराब हो जाती है जब एग्जाम में परिणाम उम्मीद के अनुसार नहीं होता। ऐसे में वो खुद को अटका हुआ महसूस करते हैं फिर से उसी रुटीन में चले जाते हैं।
इमोशनल सपोर्ट की कमी
गुड मेंटल हेल्थ कई कारकों पर निर्भर करता है। सबसे अहम है इमोशनल सपोर्ट। यदि किसी के पास यहै तो अच्छा मानसिक स्वास्थ्य कई कारकों पर निर्भर करता है और सबसे महत्वपूर्ण भावनात्मक समर्थन है। यदि किसी के पास तो यह मन, शरीर और आत्मा के स्वस्थ विकास को सुनिश्चित करता है। कई छात्र अपने माता-पिता से दूर रहते हैं (परीक्षा की तैयारी के लिए किसी दूसरे शहर में) या अगर वे अपने माता-पिता के साथ रह रहे हैं, तो वे अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण शायद ही उनसे बातचीत करते हैं। यह उन्हें इमोशनल सपोर्ट से वंचित करता है। इससे छात्रों को कई बार अकेलापन महसूस होता है। जिसकी वजह से वो ज्यादा शराब पीने लगते हैं। सिगरेट पीने लगते हैं।इंटरनेट ब्राउज़िंग या फिर सेक्स में रूचि लेने लगते हैं।
असफलता के लिए कोई तैयारी नहीं
हमारे एजुकेशन सिस्टम में हमें असफलता के लिए तैयार नहीं करती है। हमें यह कोई नहीं बताता कि अगर प्लान ए फेल हो जाए तो प्लान बी क्या होगा। जब कोई छात्र असफल होता है तो उसे लगता है कि यह उसके लिए दुनिया का अंत है। वे शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से भारी तनाव में आ जाते हैं।
परीक्षाओं की तैयारी कर रहे बच्चों के गुड मेंटल हेल्थ के लिए कुछ सुझाव यहां दिए गए हैं-
1. एक शेड्यूल बनाएं जो आपके शरीर और दिमाग के प्रदर्शन को बढ़ाता है।
2.छोटे-छोटे ब्रेक लेकर अपने शरीर और दिमाग को तरोताजा करें। हर 1-2 घंटे में 15 से 20 मिनट का छोटा ब्रेक आपके शरीर में एनर्जी देने में मदद कर सकता है।
3.पौष्टिक भोजन करें और हर रात कम से कम आठ घंटे की अच्छी नींद लें।
4. लंबी पढ़ाई का सेशन एक्सरसाइज का मौका नहीं देता है। जिसकी वजह से शरीर सुस्त हो जाता है। मन निगेटिव रिएक्शन देने लगता है। इसलिए कुछ वक्त फिजिकल एक्टिविटी के लिए निकालें।
5. पढ़ाई और खेलकूद में एक संतुलन बनाएं।
6.इमोशनल सपोर्ट के लिए अपनों से बार-बार बातें करते रहें।
7.अवास्तविक उम्मीदों से दूर रहें। मेहनत करें और जो होगा उसे मानने के लिए खुद को तैयार करें। ये सोचेंगे कि सबकुछ अच्छा होगा।