सार

बच्चों का नींद में बिस्तर गीला करना एक आम समस्या है जो माता-पिता के लिए भी परेशानी का सबब बन सकती है। जानिए मनोवैज्ञानिक से इस समस्या से निपटने के पाँच अचूक उपाय।

बच्चों का नींद में बिस्तर गीला करना एक आम बात है। छह साल की उम्र के बाद भी कुछ बच्चों में बिस्तर गीला करने की आदत होती है। बच्चे बिस्तर गीला क्यों करते हैं और इससे कैसे निपटें, इस बारे में जानिए मनोवैज्ञानिक जयेश के. जी. से...

नींद में बिस्तर गीला करना सिर्फ़ बच्चों की ही समस्या नहीं है, यह माता-पिता के लिए भी परेशानी का सबब बन जाता है। बच्चे बिस्तर गीला करें तो अक्सर माता-पिता ही उन्हें दोषी ठहराते हैं। सोने से पहले ज़्यादा पानी पी लिया, पेशाब किए बिना ही सो गए, पेशाब करने का मन हुआ लेकिन बिस्तर से उठने की हिम्मत नहीं हुई, इस तरह की बातें कहकर उन्हें डांटा जाता है। लेकिन आपकी यह सख्ती उनके बिस्तर गीला करने की समस्या को और बढ़ा सकती है।

पाँच साल की उम्र तक आते-आते ज़्यादातर बच्चे नींद में बिस्तर गीला करना बंद कर देते हैं। लेकिन कुछ बच्चों में यह आदत पाँच साल की उम्र के बाद भी बनी रहती है।   इस आदत को आमतौर पर एन्यूरेसिस कहा जाता है।  

अत्यधिक गुस्सा,  डर, मिर्गी जैसे दौरे पड़ने वाले बच्चों में यह आदत ज़्यादा देखने को मिलती है। इसके साथ ही जिन बच्चों का विकास देरी से होता है, जिन्हें सीखने में दिक्कत होती है, ऑटिज्म, मानसिक मंदता  जैसे रोगों से पीड़ित बच्चों में भी यह समस्या देखी जा सकती है।

लड़कियों की तुलना में लड़कों में एन्यूरेसिस ज़्यादा देखने को मिलता है। पाँच से दस प्रतिशत बच्चों में पाँच साल की उम्र तक और दस साल से कम उम्र के तीन से पाँच प्रतिशत बच्चों में और पंद्रह साल से कम उम्र के एक प्रतिशत बच्चों में एन्यूरेसिस यानी बिस्तर गीला करने की समस्या देखी जाती है। 

बिस्तर गीला करने की समस्या से निपटने के लिए यहां पांच सुझाव दिए गए हैं।

1) हर दिन शाम को आठ बजे के बाद अनियंत्रित रूप से पानी पीना पूरी तरह से बंद कर दें। आवश्यकतानुसार ही पानी दें और साथ ही सोने से एक घंटे पहले या डेढ़ घंटे पहले खाना खिलाने की कोशिश करें। ऐसा करने से उनका पाचन क्रिया ठीक रहेगा और पेशाब करने की इच्छा कम होगी।

2) आमतौर पर बच्चों में बिस्तर गीला करने की घटना रात के बारह बजे से सुबह के छह बजे के बीच होती है। इस दौरान उन्हें गहरी नींद आती है और सपने भी आते हैं। सपने देखते समय ही बच्चे अक्सर अनजाने में बिस्तर गीला कर देते हैं। इसलिए रात के बारह बजे से हर डेढ़ घंटे के अंतराल पर (12:00, 1:30, 3:00, 4:30, 6:00) अलार्म लगाकर उठें और बच्चों को जगाकर बाथरूम ले जाकर पेशाब करवाएं। एक-दो हफ़्ते तक ऐसा करने पर उन्हें नींद में बिस्तर गीला करने की आदत से छुटकारा मिल सकता है।

3) कुछ बच्चों में मल त्याग पर नियंत्रण न होने की समस्या भी होती है (ऐसी स्थिति जिसमें पेशाब रोकना मुश्किल होता है)। इसे पूरी तरह से दूर किए बिना बिस्तर गीला करने की समस्या का समाधान नहीं हो सकता। इसलिए  अब से जब भी बाथरूम जाएँ तो पेशाब को जल्दी से निकालने के बजाय, थोड़ा-थोड़ा करके समय लेकर निकालने की कोशिश करें।  साथ ही खड़े होकर पेशाब करने के बजाय बैठकर पेशाब करने की आदत डालें। इसके लिए यूरोपियन टॉयलेट के बजाय इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करें। 

4) जो बच्चे रात में खुशी-खुशी सोने जाते हैं, उनमें बिस्तर गीला करने की आशंका कम होती है।  इसलिए रात के समय बच्चों को ज्यादा डाँटें-फटकारें नहीं और न ही उन्हें दुखी करने वाली बातें करें। अगर आप गुस्सा हो रहे हैं या बच्चों पर गुस्सा कर रहे हैं, तो रात को सोने से पहले आप और आपके बच्चे अपनी-अपनी बातें कहकर मामले को सुलझा लें, उसके बाद ही सोने जाएँ।

5) हर दिन कम से कम 20 मिनट साइकिल चलाने की आदत डालें, इससे बच्चों की पेडू की हड्डियाँ मजबूत होंगी और मूत्राशय पर नियंत्रण रखने में मदद मिलेगी।  साथ ही शाम को घर के अंदर खेलते समय बच्चों से एक काम करवाएँ।  बच्चों को बिस्तर पर पीठ के बल लिटाकर दोनों पैरों को जितना हो सके मोड़कर कंधों से सटाकर साइकिल के पैडल चलाने की तरह पैर हिलाने को कहें, दिन में दो बार बच्चों से यह करवाएँ। यह प्रक्रिया आपके बच्चे के मूत्राशय की कार्यक्षमता को धीरे-धीरे बढ़ाएगी और उन्हें बाथरूम जाने के लिए प्रेरित करेगी।

अगर आप अपने बच्चों से ये पाँच काम करवाते हैं, तो उनकी रात में बिस्तर गीला करने की आदत पूरी तरह से छूट सकती है। आपका और आपके बच्चों का हर दिन खुशियों से भरा रहे और  वे खुशी-खुशी सोएँ और अच्छी नींद लेकर उठें ….