Water Broke In Pregnancy: प्रेग्नेंसी में वाटर ब्रेक होने की बातें तो आप सबने जरूर सुनी होगी। लेकिन इसका क्या मतलब होता है और यह कैसे होने वाली मां पर असर डालता है, आइए बताते हैं।
कॉमेडियन भारती सिंह और उनके पति हर्ष लिम्बाचिया के घर एक बार फिर खुशियों ने दस्तक दी है। भारती सिंह ने 41 साल की उम्र में अपने दूसरे बच्चे को जन्म दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 19 दिसंबर की सुबह अचानक उनका वॉटर ब्रेक हो गया, जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया। कुछ ही घंटों बाद भारती ने एक हेल्दी बच्चे को जन्म दिया। हालांकि भारती के प्रेग्नेंसी का डेट यह नहीं था। क्योंकि उनकी ‘लाफ्टर शेफ्स’ की शूटिंग होने वाली थी। लेकिन अचानक वाटर ब्रेक हो गया। आइए बताते हैं, वाटर ब्रेक होने का क्या मतलब होता है।
प्रेग्नेंसी में वॉटर ब्रेक होने का क्या मतलब होता है?
प्रेग्नेंसी के दौरान वॉटर ब्रेक होने का मतलब है कि बच्चे को सुरक्षित रखने वाली पानी से भरी थैली (एम्नियोटिक सैक) फट गई है। इसके बाद योनि से पानी निकलने लगता है। योनि से पानी कभी बहुत तेजी से निकलता है,तो कभी यह धीरे-धीरे रिसने लगता है। वाटर ब्रेक होने पर बच्चे को मां के गर्भ में रखना मुमकीन नहीं होता है। इसलिए तुरंत अस्पताल प्रेग्नेंट महिला को लेकर जाया जाता है।
एम्नियोटिक फ्लूइड का काम क्या होता है?
एम्नियोटिक फ्लूइड यानी गर्भ का पानी बच्चे के लिए बेहद जरूरी होता है। इसके मुख्य काम हैं-बच्चे को झटकों से सुरक्षित रखना, फेफड़ों के विकास में मदद करना होता है। इसके अलावा संक्रमण से यह बच्चे को सुरक्षित रखता है। इसीलिए जैसे ही वॉटर ब्रेक होता है, मेडिकल देखरेख बहुत जरूरी हो जाती है।
वॉटर ब्रेक होने के बाद क्या होता है?
अक्सर वॉटर ब्रेक होने के बाद कुछ ही समय में लेबर पेन शुरू हो जाता है। इसी वजह से डॉक्टर सलाह देते हैं कि महिला को तुरंत अस्पताल ले जाया जाए और निगरानी में रखा जाए। इससे संक्रमण का खतरा कम होता है और बच्चे की सुरक्षा बनी रहती है।
प्रेग्नेंसी में कब होता है वॉटर ब्रेक?
अधिकतर महिलाओं में वॉटर ब्रेक प्रेग्नेंसी के आखिरी चरण में, यानी डिलीवरी के करीब होता है। लेकिन अगर 37 हफ्ते से पहले वॉटर ब्रेक हो जाए, तो उसे प्रीटर्म वॉटर ब्रेक माना जाता है और इसमें तुरंत मेडिकल सहायता की जरूरत होती है।
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सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले सवाल
प्रेगनेंसी के दौरान वाटर ब्रेक कैसे पता करें?
जब आपका पानी टूटता है, तो आपको अपनी योनि में गीलापन महसूस हो सकता है। जननांगों और गुदा के बीच की पतली स्किन की परत ,जिसे पेरिनियम कहते हैं, वहां भी गीलापन लग सकता है। कई बार पानी तेजी से बाहर आता है।
वाटर ब्रेक के कितने देर बाद बच्चे का जन्म हो जाना चाहिए?
वाटर ब्रेक के कुछ घंटे के भीतर ही लेबर पेन शुरू हो जाता है। अगर वाटर ब्रेक के 24 घंटे के भीतर बच्चे का जन्म नहीं होता है और उसके बाद होता है, तो फिर 12 घंटे तक बच्चे को निगरानी में रखा जाता है। ताकि उसे किसी तरह का संक्रमण तो नहीं हुआ उसके बारे में पता लगाया जा सकते। कई मामले में सी सेक्शन के लिए भी डॉक्टर कहते हैं।
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