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लड़के मास्टरबेशन से तो लड़कियां पीरियड्स से परेशान, जवान होते बच्चों के साथ पैरेंट्स को करने चाहिये ये 4 काम
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दरअसल, केंद्रीय स्वास्थ्य के क्षेत्र पर परिवार कल्याण मंत्रालय की टेली मेंटल हेल्थ एंड नेटवर्किंग अक्रॉस स्टेट्स (Tele-Manas) 10 अक्टूबर 2022 को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर लॉन्च किया गया है। जिस पर कोई भी कॉल करके मेंटल हेल्थ के बारे में बात कर सकता है। इस पर आए कॉल के मुताबिक ज्यादातर लड़के मास्टरबेशन और स्वप्नदोष को लेकर अपनी परेशानी बताई। तो लड़कियां अनियमित पीरियड्स के बारे में। जवान होते बच्चों पर सबसे ज्यादा माता-पिता का फोकस होना जरूरी होता है। तो चलिए बताते हैं कैसे माता-पिता को प्यूबर्टी से गुजर रहे बच्चों को सही रास्ता दिखाना चाहिए।
बच्चों पर नजर बना कर रखें
पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि वह अपने बच्चों में नजर आने वाले प्यूबर्टी के संकेतों पर नजर बनाए रखें। बच्चों को बताएं कि उनके शरीर में कोई भी बदलाव दिख रहा है तो उनसे शेयर जरूर करें। बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते हैं उनका साल में एक बार मेडिकल चेकअप कराएं, ताकि डॉक्टर बच्चे के प्यूबर्टी पैटर्न नोटिस कर सकें।
पिता बन जाए बेटे का दोस्त
प्यूबर्टी के दौरान लड़कों में कई तरह के शारीरिक बदलाव आते हैं। टेस्टिकल्स और पेनिस का साइज बढ़ने लगता है। चेहेर और प्यूबिक एरिया में बाल उग आता है। ब्रेस्ट टिशू का कम मात्रा में बढ़ना और आवाज में बदलाव दिखाई देने लगता है। इसके साथ ही मांसपेशियां मजबूत होने लगती है। ऐसे में पिता को अपने बच्चे के साथ खुलकर व्यवहार करने की जरूरत होती है।
बेटे को बताएं मास्टरबेशन के बारे में खुलकर
‘टेली-मानस’ पर आए कॉल की बात करें तो जवान होते लड़कों की ज्यादातर चिंता मास्टरबेशन को लेकर होती है। उनको लगता है कि अगर घर में किसी को पता चल गया तो क्या सोचेंगे। वो इसकी वजह से तनाव में रहते हैं। गलत वीडियो देखते हैं, दोस्तों से बात करके गलत रास्ते पर भी निकल पड़ते हैं। ऐसे में पिता को एक दोस्त बनकर अपने बेटे को सही रास्ता दिखाना चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि इस उम्र में शरीर में बदलाव होते हैं। मास्टरबेशन की तलब भी होती है। इसमें कोई बुराई नहीं है। सप्ताह में एक बार ये करते भी हो तो गलत नहीं है। लेकिन इसकी अति शरीर पर हानिकारक प्रभाव डालता है। उन्हें सही वीडियो या फिर मेडिकल शोध पढ़ने को दें, ताकि वो इसके बारे में सही जानकारी पा सकें।
लड़कियां पीरियड्स को लेकर होती है परेशान
लड़कियों में पीरियड्स की वजह से तनाव या डिप्रेशन के लक्षण देखने को मिलते हैं। ब्लीडिंग और पेट दर्द की वजह से वो किसी चीज पर फोकस नहीं कर पाती हैं। वो डॉक्टर के पास भी जाने से झिझकती हैं। इसलिए घर में इन्हें गाइड करना जरूरी होती है।
मां बेटी की बन जाएं सहेली
जिस दौर से बेटी गुजर रही है उस दौर से मां भी गुजरी होंगी। उन्हें पता है कि महिला के जीवन का सच है पीरियड्स का आना। मां को बेटी की सहेली बन जाना चाहिए। पीरियड्स के दौरान होने वाली परेशानी को दूर करन का उपाय उन्हें बताना चाहिए। बेटी को बताना चाहिए कि ये हर महीने होगा, कभी-कभी शारीरिक प्रॉब्लम्स की वजह से यह अनियमित भी हो सकता है। ऐसे में परेशान होने की जरूरत नहीं है और ना ही बताने से शर्माना चाहिए। इस पर वो खुलकर बात कर सकती हैं। डॉक्टर से दिखाने की जरूर हो तो वहां भी बिना झिझक के जा सकती हैं।
लड़कियों के प्यूबर्टी में बहकते हैं कदम
कई लड़कियां बढ़ती उम्र में खुद पर कंट्रोल करना सीख जाती है। जबकि कुछ ऐसा नहीं कर पाती है। शारीरिक परिवर्तन और हार्मोनल चेंज की वजह से वो रोमांच करना चाहती हैं। इंटरनेट पर वो गलत जानकारी लेती हैं। कई बार कम उम्र में प्यार के चक्कर में फंस जाती है। इसकी वजह से अनचाही प्रेग्नेंसी की भी शिकार हो जाती है। एक मां को बेटी से इस बारे में भी बात करनी चाहिए। उसे बताना चाहिए कि हार्मोन की वजह से उनका आकर्षण लड़कों के प्रति बढ़ सकता है। लेकिन शारीरिक संबंध इस उम्र में बनाना उनकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। मां को अपनी बेटी से खुलकर इस बारे में बात करनी चाहिए। ताकि उन्हें सही दिशा दिखाया जा सकें।
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