सार
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कैंसर से पीड़ित ज़्यादातर बच्चे कुपोषित हैं। यह जानकारी कडिल्स फाउंडेशन की फूड हील्स रिपोर्ट 2024 में सामने आई है।
भारत में बच्चों में कैंसर की पहचान और इलाज के नतीजों में कुपोषण एक बड़ी भूमिका निभाता है। कुपोषण बच्चों में कैंसर के इलाज पर बहुत बुरा असर डालता है। डॉक्टरों का कहना है कि कैंसर से पीड़ित 57 से 61 प्रतिशत बच्चों में कुपोषण पाया जाता है।
अध्ययन में पाया गया कि कैंसर से पीड़ित 65 प्रतिशत बच्चों को हर दिन ज़रूरत से आधी कैलोरी और प्रोटीन ही मिल पाता है। बचपन में होने वाला कैंसर भारत में एक बढ़ती हुई स्वास्थ्य समस्या है। अनुमान है कि भारत में हर साल 76,000 बच्चों में कैंसर पाया जाता है। इनमें से 57 से 61 प्रतिशत बच्चे कुपोषित होते हैं। बच्चों में कुपोषण कैंसर के इलाज पर बहुत बुरा असर डालता है। इससे गंभीर समस्याएँ और रुकावटें पैदा होती हैं। रिपोर्ट में ज़ोर देकर कहा गया है कि बच्चों में कैंसर के इलाज में कुपोषण एक बड़ी बाधा है।
'बच्चों में कैंसर के इलाज में कुपोषण सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। सही पोषण बच्चों को बेहतर इलाज और ताकत देता है...'- कडिल्स फाउंडेशन के संस्थापक और सीईओ पूर्णोता दत्ता बाल ने कहा। रायपुर के रीजनल कैंसर सेंटर में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. प्रदीप चंद्राकर ने कहा कि कैंसर पीड़ित बच्चों में दूसरी बीमारियाँ और समस्याएँ होने का ख़तरा ज़्यादा होता है।