Brain Health: बोतलबंद पानी और हेल्दी फिश आपको बीमार कर सकता है। नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि ये ब्रेन हेल्थ को प्रभावित कर रहे हैं। ये डिप्रेशन को बढ़ा सकते हैं।

Health Study: क्या आपने कभी सोचा है कि जो बोतलबंद पानी या हेल्दी फिश आप खाते हैं, वही आपके मूड को बिगाड़ सकता है। जी हां , एक नई स्टडी ने चौंकाने वाला खुलासा किया है कि इन चीजों में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक्स (Microplastics) न सिर्फ शरीर बल्कि ब्रेन और मेंटल हेल्थ को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। रिसर्च के मुताबिक, ये सूक्ष्म प्लास्टिक कण हमारे गट माइक्रोबायोम (Gut Microbiome) को प्रभावित करते हैं। जिससे डिप्रेशन और कोलन जैसे लक्षण विकसित हो सकते हैं।

क्या हैं माइक्रोप्लास्टिक्स और ये शरीर पर कैसे असर करते हैं?

नई स्टमाइक्रोप्लास्टिक बहुत छोटे प्लास्टिक कण होते हैं, जिनका साइज 5 मिलीमीटर से भी कम होता है। ये मछली, नमक, बोतलबंद पानी और यहां तक कि हवा में भी पाए जाते हैं। हर इंसान रोजाना इन्हें खाने, सांस लेने और त्वचा के संपर्क से शरीर के अंदर ले रहा है। नई स्टडी में 5 स्वस्थ वॉलंटियर्स के स्टूल सैंपल्स से गट माइक्रोबायोम कल्चर तैयार किया गया और उसमें 5 प्रकार के आम माइक्रोप्लास्टिक्स पाए गए हैं। जिनमें पॉलिस्टाइरीन (Polystyrene), पॉलीप्रोपिलीन (Polypropylene), लो-डेंसिटी पॉलीथीन (LDPE), पॉलीमेथिल मेथाक्रिलेट (PMMA) और पॉलीथीन टेरेफ्थेलेट (PET) को शामिल किया गया। परिणामों में पाया गया कि इन माइक्रोप्लास्टिक्स ने आंतों के बैक्टीरिया की संरचना में ऐसे बदलाव किए जो डिप्रेशन से पीड़ित लोगों में पाए गए पैटर्न से मिलते-जुलते थे।

गट माइक्रोबायोम-शरीर का 'सेकंड ब्रेन'

शोधकर्ताओं ने बताया कि हमारे शरीर का गट माइक्रोबायोम यानी आंतों में मौजूद अरबों सूक्ष्मजीव हमारी डाइजेशन, इम्युनिटी और मूड को प्रभावित करते हैं। यही कारण है कि वैज्ञानिक इसे 'सेकंड ब्रेन कहते हैं। जब माइक्रोप्लास्टिक इन सूक्ष्मजीवों की संरचना बदल देता है, तो इसका असर दिमाग और मानसिक स्वास्थ्य तक पहुंच सकता है।

और पढ़ें: ब्रेन कैंसर का सबसे घातक रूप है ग्लियोब्लास्टोमा, खोपड़ी को गलाकर इम्यून सिस्टम को करता है हाईजैक

स्टडी की चेतावनी

लीड रिसर्चर क्रिश्चियन पाकर-ड्यूच (Christian Pacher-Deutsch) ने कहा कि अभी यह साबित नहीं हुआ है कि माइक्रोप्लास्टिक डिप्रेशन का सीधा कारण है, लेकिन यह निश्चित है कि यह हमारे माइक्रोबायोम को प्रभावित करता है। इसलिए माइक्रोप्लास्टिक एक्सपोजर को कम करना बहुत जरूरी है। उन्होंने यह भी बताया कि माइक्रोप्लास्टिक सतह पर केमिकल्स और बैक्टीरिया के लिए नए निवास स्थान (biofilms) बनाते हैं, जिससे कुछ बैक्टीरिया तेजी से बढ़ने लगते हैं और कुछ खत्म हो जाते हैं।

इसे भी पढ़ें: सिगरेट-शराब छोड़ने वालों के लिए बड़े काम की हैं लाइफ स्टाइल कोच की ये 3 बातें