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National Vaccination Day 2023: बच्चों के लिए सबसे जरूरी है 10 टीके, एक बार देख लें लिस्ट कहीं छूट ना जाए 1 भी वैक्सीन
हेल्थ डेस्क : 16 मार्च को पूरे भारत में नेशनल वैक्सीनेशन डे मनाया जाता है। वैक्सीन वायरस और बैक्टीरिया के असर को कम करके उसे पूरी तरह से खत्म करने में मदद करती हैं। बच्चों को जन्म से लेकर बड़े होने तक कौन से टीके लगवाने चाहिए आइए हम आपको बताते हैं…
| Published : Mar 16 2023, 07:33 AM IST
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बीसीजी वैक्सीन
बीसीजी का टीका ट्यूबरक्लोसिस यानी कि टीबी से बचाता है। इसे Bacillus Calmette-Guérin नाम से भी जाना जाता है। इस वैक्सीन की शुरुआत 1948 में हुई थी। यह टीका बच्चों के जन्म के समय उन्हें लगाया जाता है। आप इसे 6 महीने के अंदर कभी भी लगवा सकते हैं।
हेपेटाइटिस बी वैक्सीन
लिवर इन्फेक्शन से बचने के लिए बच्चों को हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाना अनिवार्य है। इस टीके की शुरुआत 2002 में हुई थी। इसे बच्चे के पैदा होने की 24 घंटे के अंदर लगाने की सलाह दी जाती इसकी 3 डोज होती है जो अलग-अलग समय पर दी जाती है।
पोलियो वैक्सीन
पोलियो की वैक्सीन एक ओरल वैक्सीन है, जो पोलियो जैसी गंभीर बीमारी से बच्चों को बचाती है। इसे जन्म या 25 दिनों के अंदर देना जरूरी है। इसके बाद आप 5 साल तक पोलियो की दवा बच्चों को पिला सकते हैं। हालांकि, भारत 2014 में पोलियो मुक्त होने की घोषणा कर चुका है।
पेंटावेलेंट वैक्सीन
पेंटावेलेंट वैक्सीन 5 एंटीजन - डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस और हेपेटाइटिस बी और हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी का एक कॉन्बिनेशन है, जो बच्चे को इससे होने वाली गंभीर बीमारियों से बचाता है। पेंटावेलेंट वैक्सीन की 3 डोज बच्चों को दी जानी चाहिए। पहला डोज 6 सप्ताह, दूसरा डोज 10 सप्ताह और तीसरा डोज 14 सप्ताह में देना चाहिए।
रोटावायरस वैक्सीन
इसे आरवीवी के नाम से भी जाना जाता है। यह रोटावायरस को तेजी से फैलने से रोकता है, क्योंकि जब बच्चे छोटी उम्र में होते हैं तो उन्हें यह वायरस जल्दी इन्फेक्ट कर सकता है। ऐसे में आप रोटावायरस वैक्सीन की 3 डोज 6, 10 और 14 सप्ताह में लगवा सकते हैं।
पीसीवी वैक्सीन
इसे न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन वैक्सीन भी कहा जाता है। यह निमोनिया जैसी खतरनाक बीमारी से बच्चों को बचाती है। इसके 3 डोज बच्चों को दिए जाते हैं। पहला 6 सप्ताह में, दूसरा 14 सप्ताह में और 3 डोज 9 महीने में दिया जाता है।
मीजल्स रूबेला वैक्सीन
इसे एम आर के नाम से भी जाना जाता है। यह बच्चों के शरीर में लिम्फ नोड्स और चकत्ते होने से बचाता है। इसके दो डोज दिए जाते हैं। एमआर का पहला शॉट 9 से 12 महीने में दिया जाता है, जबकि दूसरा 2 साल के बच्चे को दिया जाता है।
आईपीवी वैक्सीन
इसे इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन भी कहा जाता है। इसकी शुरुआत 2015 में हुई थी। आईपीवी शरीर में इंजेक्ट किया जाता है, जिससे बच्चों में पोलियो की समस्या को भविष्य में रोका जा सकता है।
जेई वैक्सीन (जापानी इन्सेफेलाइटिस)
जापानी इन्सेफेलाइटिस वैक्सीन मच्छर जनित बीमारियों को रोकती है, जो भारत के कई हिस्सों में आम है। इसके 2 डोज बच्चों को दिए जाते हैं। पहला जन्म के 9 से 12 महीने के अंदर और दूसरा 1 साल से 2 साल के अंदर बूस्टर शॉट दिया जाता है।
विटामिन ए वैक्सीन
विटामिन ए की वैक्सीन भी बच्चों के लिए सबसे जरूरी वैक्सीन है। ये बच्चों में विटामिन ए की कमी को रोकती है जिससे बच्चों में अंधापन भी हो सकता है। इस टीके की दो डोज दी जाती है। पहला 9 महीने में एमआर वैक्सीन के साथ और दूसरी डोज 16 से 18 महीने में लगाई जाती है।