नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने डॉक्टरों को साफ-सुथरी पर्ची लिखने का आदेश दिया है। यह फैसला अस्पष्ट लिखावट के कारण मरीजों को गलत दवा मिलने के खतरे को देखते हुए लिया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य मरीज की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
नई दिल्ली: डॉक्टरों की पर्ची पढ़ न पाने की शिकायत अक्सर आती रहती है। इस वजह से, फार्मेसी से मिली दवा और डॉक्टर की लिखी दवा एक ही है या नहीं, यह मिलाना मुश्किल हो जाता है। कभी-कभी तो फार्मासिस्ट भी डॉक्टर की लिखावट नहीं समझ पाते। दवा गलत मिलने पर यह मरीज की जान के लिए खतरा भी बन सकता है। इसी को देखते हुए, नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने देशभर के डॉक्टरों के लिए एक अहम आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि पर्चियां साफ-सुथरी और स्पष्ट लिखावट में होनी चाहिए।
यह फैसला अस्पष्ट पर्चियों से पैदा होने वाली गंभीर स्थितियों को ध्यान में रखकर लिया गया है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने भी इस मामले पर एक अहम टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि पढ़ने में न आने वाली पर्चियों की वजह से मरीज को गलत दवा या गलत मात्रा में दवा मिल सकती है। इन्हीं चिंताओं को देखते हुए NMC ने देशभर के डॉक्टरों को पर्ची के संबंध में यह निर्देश दिया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी चेतावनी दी है कि दवाओं का बदलना मरीजों के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चुनौती है। दवा की मात्रा में थोड़ी सी भी गलती के बड़े परिणाम हो सकते हैं। पुरानी बीमारियों से जूझ रहे लोगों, बुजुर्गों और एक से ज़्यादा दवाएं लेने वालों के लिए तो एक छोटी सी गलती भी एलर्जी से लेकर जानलेवा स्थिति तक पैदा कर सकती है।
NMC का नया आदेश
NMC के आदेश के मुताबिक, अस्पष्ट पर्ची लिखना स्वीकार नहीं किया जाएगा क्योंकि इससे मरीज की सुरक्षा खतरे में पड़ती है। सभी मेडिकल कॉलेजों में पर्चियों की निगरानी के लिए समितियां बनाई जाएंगी। मेडिकल छात्रों को साफ पर्ची लिखने का महत्व सिखाया जाएगा और यह उनकी क्लिनिकल ट्रेनिंग का हिस्सा होगा। पढ़ाई के दौरान ही इस आदत को अपनाने से एक बड़ा बदलाव लाने का मकसद है। वैसे, कई जगहों पर डॉक्टर अब पर्ची टाइप करने लगे हैं, जो कि दुनिया भर में अपनाया जाने वाला तरीका है। लेकिन जिन अस्पतालों में यह सुविधा नहीं है, वहां के डॉक्टरों पर NMC का यह नया आदेश लागू होगा।
