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कहीं आप भी बार-बार नहीं पिला रही बच्चे को दूध, ये है newborn Baby को Breastfeed करना का सही तरीका
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अक्सर देखा जाता है कि नई मां हर समय अपने शिशु को दूध पिलाने लगती है, जबकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि बच्चे को जब भूख लगे और वह रोए तभी उसे दूध का सेवन करवाना चाहिए।
बच्चे की भूख को पहचानने के लिए आप उसके इशारों पर ध्यान दें। भूख लगने पर बच्चा अपनी उंगली या हाथ मुंह में डालता है या मां के ब्रेस्ट को इधर-उधर ढूंढता है। इन संकेतों को ब्रेस्टफीडिंग मॉम को पहचानना चाहिए और उसी समय बच्चे को दूध पिलाना चाहिए।
बच्चे को दूध पिलाने के लिए कभी भी लेट कर ब्रेस्टफीडिंग ना कराएं। आप पलंग पर सहारा लेकर बैठ सकती है या किसी कुर्सी पर बैठकर बच्चे को गोद में लेकर दूध पिला सकती हैं।
दूध पिलाते समय बच्चे को कंफर्टेबल तरीके से पकड़े। आप बच्चे के सिर, गर्दन, रीड की हड्डी और निचले हिस्से को एक हाथ से सहारा दें और अपने हाथ के नीचे आप एक तकिया रख सकती है, जिससे बैलेंस मिले और बच्चा आराम से लेट कर दूध पी सकें।
सबसे जरूरी बात की जब आप बच्चे को दूध पिलाए तो एक बार में एक ब्रेस्ट का मिल्क पिलाएं। बार-बार ब्रेस्ट का साइड चेंज करने से बच्चे को पूरे न्यूट्रिशन नहीं मिलते हैं, क्योंकि मां के एक स्तन से पहले पतला और फिर गाढ़ा दूध आता है, जो दोनों ही बच्चे के लिए जरूरी है।
जब मां अपने बच्चे को दूध पिलाएं तो ध्यान रखें कि स्किन टू स्किन टच जरूर हो, क्योंकि इससे बेबी की हार्टबीट और सांस बाहरी वातावरण की हिसाब से सामान्य होती है।
अगर आप बेबी के लिए ब्रेस्ट को पंप करके रखती है और फिर बॉटल से इसका सेवन कराती है, तो उसके लिए ताजे मिल्क को पंप करके ही पिलाएं। लंबे समय तक रखा हुआ दूध नुकसानदायक हो सकता है।
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