सार
क्या कोरोना अलग-अलग ब्लड ग्रुप पर डिफरेंट प्रभाव डालता है? क्या वो भी चुनकर लोगों को निशाना बना रहा है। वैज्ञानिकों ने इसे लेकर शोध किया और नतीजा हैरान करने वाला सामने आया।
हेल्थ डेस्क. यह विचार महामारी (Corona pandemic) की शुरुआत में सामने आया था कि कुछ लोग दूसरों की तुलना में अधिक बीमार क्यों हो जाते हैं। कोरोना उनपर ज्यादा प्रभाव क्यों डालता है। इसे लेकर वैज्ञानिकों ने शोध किया जिसमें पता चला कि टाइप A ब्लड वाले लोगों को टाइप O वाले लोगों की तुलना में अधिक जोखिम हो सकता है।
जर्नल ब्लड में प्रकाशित नया शोध इस धारणा की पुष्टि करता है।हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में पैथोलॉजी केएसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सीन स्टोवेल के अनुसार, 'टाइप A ब्लड वाले लोग - जो कि अमेरिका की आबादी का लगभग एक तिहाई है को टाइप O ब्लड वाले लोगों (लगभग आधे अमेरिकी) की तुलना में नोवेल कोरोनोवायरस से संक्रमण का खतरा 20% से 30% अधिक है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि हर किसी को इस वायरस से खतरा है। अमेरिकी सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों की ओर से जुटाए गए डेटा के मुताबिक अधिकांश अमेरिकियों को यह बीमारी है। भले ही वो इससे अनजान हो।
कौन से कारण COVID होने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं
कई ऐसे कारण हैं जो व्यक्ति पर कोविड के असर को दिखाते हैं। इसमें यह भी शामिल है कि किसी की इम्युन सिस्टम कितना काम करता है। डायबिटीज, मोटापा और अन्य स्वास्थ्य स्थिति है जो इस बीमारी की ओर ले जाती है। जैसे ही इससे पीड़ित लोग वायरस के संपर्क में आ जाता हैं वो इसके शिकार आसानी से बन जाते हैं।
ब्लड ग्रुप भी एक वजह
नए शोध में पता चला है कि ब्लड ग्रुप की वजह से भी लोग कोरोना के शिकार जल्द होते हैं। यदि ग्रुप A वाला शख्स और ग्रुप O एक साथ बैठे हैं। वहां पर कोई कोरोना से पीड़ित शख्स ने खास दिया तो ग्रुप A के बीमार होने की संभावना ज्यादा अधिक होती है। जबकि ग्रुप O इससे फाइट कर सकता है। रक्त का प्रकार किसी की संवेदनशीलता में कैसे भूमिका निभाता है, भविष्य में फिर से प्रासंगिक हो सकता है। यह समझने के लिए और अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है कि क्या कोविड रक्त प्रकार बी और/या एबी को प्राथमिकता देता है।
अन्य बीमारियों को लेकर भी सच आ सकता है सामने
वैज्ञानिकों को यह समझने में भी मदद कर सकता है कि कैसे और क्यों हैजा और मलेरिया जैसे अन्य वायरस भी कुछ विशेष प्रकार के रक्त को पसंद करते हैं।
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