सार
वैज्ञानिकों ने कहा कि आर्कटिक पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से 'ज़ोंबी वायरस' निकल सकते हैं और एक भयावह ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी शुरू हो सकता है।
हेल्थ डेस्क. दुनिया में एक बार फिर से तबाही मच सकती है। कोरोना वायरस के बाद 'ज़ोंबी वायरस' (Zombie Virus ) के आने की आशंका जताई जा रही है। वैज्ञानिकों ने आर्कटिक और अन्य स्थानों पर बर्फ की चोटियों के नीचे दबे वायरस से पैदा खतरों के बारे में चेतावनी दी है। द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा है कि पिघलने वाला आर्कटिक पर्माफ्रॉस्ट 'ज़ोंबी वायरस' को बाहर निकाल सकता है। इससे भयावह ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी ट्रिगर कर सकता है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़ते तापमान के कारण जमी हुई बर्फ पिघलने लगी है, जिससे खतरा बढ़ गया है। इन वायरस से जुड़े खतरों को बेहतर ढंग से समझने के लिए, एक वैज्ञानिक ने पिछले साल साइबेरियाई पर्माफ्रॉस्ट से लिए गए नमूनों से उनमें से कुछ को फिर से जीवित किया। ये वायरस जमीन में जमे हुए हजारों साल बिता चुके हैं।ऐक्स-मार्सिले यूनिवर्सिटी के जनेटिक्स जीन मिशेल क्लेवेरी (Geneticist Jean-Michel Claverie) ने कहा कि फिलहाल पेडेंमिक के खतरों का एनालिसिस उन बीमारियों पर केंद्रित है जो साउथ एरिया में उभर सकती है और नॉर्थ में फैल सकती है। इसके विपरीत, एक ऐसे प्रकोप पर बहुत कम ध्यान दिया गया है जो उभर सकता है दूर नॉर्थ में जो साउथ की जर्नी कर कर सकता है। वहां ऐसे वायरस हैं जो मनुष्यों को संक्रमित करने और एक नई बीमारी का प्रकोप शुरू करने की क्षमता रखते हैं।
दबे वायरस हो सकते हैं खतरनाक
इसके अलावा, रॉटरडैम में इरास्मस मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिक मैरियन कूपमैन्स (Marion Koopmans) ने भी इस बात पर सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि हम नहीं जानते कि पर्माफ्रॉस्ट ( permafrost )में कौन से वायरस मौजूद हैं, लेकिन मुझे लगता है कि वास्तविक जोखिम है कि कोई वायरस ट्रिगर करने में सक्षम हो सकता है। यह कुछ भी हो सकता है। जैसे प्राचीन रूप में पोलियो एक प्रकोप हुआ करता था।
कई वायरस हैं जो मानव को बीमार कर सकते हैं
हजारों साल तक पर्माफ्रॉस्ट में दबे रहने के बाद भी यह वायरस जीवित हैं। यह अभी एकल कोशिकाओं जैसे की अमीबा को संक्रमित कर कर सकते हैं। मनुष्य को संक्रमित करने में यह सक्षम नहीं है। लेकिन यहां पर अभी भी कई वायरस है जो मनुष्यों को प्रभावित कर सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमने जीनोमिक निशान की पहचान की है उदाहरण के लिए, पॉक्सवायरस और हर्पीसवायरस, जो प्रसिद्ध मानव रोगजनक हैं।
ऐसे फैल सकता है खतरा
वैज्ञानिको का कहना है कि खतरा ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से आता है। आर्कटिक समुद्री बर्फ का गायब हो रहे हैं। साइबेरिया में शिपिंग, यातायात और औद्योगिक विकास में वृद्धि हो रही है। विशाल खनन कार्यों की योजना बनाई जा रही है, और गहरे पर्माफ्रॉस्ट में विशाल छेद करने जा रहे हैं तेल और अयस्क निकालें। उन ऑपरेशनों से बड़ी मात्रा में वायरस निकलेंगे जो अभी भी वहां पनप रहे हैं। खनिक अंदर जाएंगे और वायरस को सांस के साथ लेंगे। प्रभाव विनाशकारी हो सकते हैं।
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