सार

Vintage Kanchipuram Silk Sarees: विंटेज कांचीपुरम साड़ियां बिल्कुल अमूल्य हैं। क्योंकि पिछले 60 से 100 सालों के बीच उस समय जो कुछ भी बनाया वह सब बहुत अनोखा है। आज फिर से सहेजी जा रहीं कांचीपुरम साड़ियां। 

हाथ से बुनी विंटेज कांचीपुरम रेशम साड़ियों को जब भी कोई महिला देखती है तो इनकी खूबसूरती में मंत्रमुग्ध हो जाती है। ऐसा ही एक अनमोल कंचीपुरम साड़ी कलेक्शन लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है जब वे चेन्नई में साठ से लगभग सौ साल पुरानी एग्जीबिशन के बीच से गुजरते हैं। इन साड़ियों की बुनाई शैली, शानदार डिजाइन और पुराने शेड्स व रंग इतने कमाल के हैं कि हर कोई सिर्फ नजर भरकर देखता ही रह जाता है। दरअसल लगभग 100 प्राचीन कांचीपुरम रेशम साड़ियों की क्यूरेटेड एग्जीबिशन ने फैशन इंडस्ट्री के लोगों को चेन्नई में आकर्षित किया है। इस एग्जीबिशन का उद्देश्य इन जादुई डिजाइनों को फिर से बनाने के तरीकों का पता लगाना है।

सोने की कढ़ाई के कारण बहुत महंगी हैं ये कांचीपुरम साड़ियां 

ये विंटेज कांचीपुरम साड़ियां बिल्कुल अमूल्य हैं। क्योंकि 60 से 100 सालों के बीच उस समय जो कुछ भी बनाया वह सब बहुत अनोखा है। एक प्रसिद्ध पोशाक डिजाइनर का इन्हें देखकर कहना है कि इन डिजाइन की सीमाएं और विवरण अलग हैं। कपड़ा डिजाइनर कल्याणी प्रमोद ने बताया कि ये कौशल धीरे-धीरे लुप्त हो रहे हैं और केवल इस तरह की प्रदर्शनियों और प्रयासों से ही हम कांचीपुरम बुनाई की विरासत को संरक्षित कर सकते हैं। ये अमूल्य हैं, आप इन्हें दोबारा नहीं बना सकते और पैसे से इन्हें खरीदा नहीं जा सकता, लेकिन पीढ़ियों द्वारा सौंपा जा सकता है। पुरानी कांचीपुरम रेशम साड़ियों में सोने की मात्रा होने के कारण अक्सर इन्हें बड़ी रकम के लिए बेचा जाता था, बाद में इन्हें जलाकर नष्ट करते हुए सोना वापस पाया जाता था।

पुरानी कांचीपुरम साड़ियों को फिर से बनाया जाएगा

रेशम की दुकान तुलसी वीव्स के मालिक संतोष पारेख ने फेरीवालों और ग्राहकों से ऐसी एक हजार से अधिक साड़ियां खरीदी हैं और इसे एक आंदोलन बनाने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर आपके पास पुरानी रेशम की साड़ी हैं और अगर वह पहनी भी नहीं जा सकती, तो उसे नष्ट न करें। तब हमारे पास उनके बारे में बोलने के लिए कुछ नहीं होगा। इन पुराने डिजाइनों को पुनर्जीवित करने की संभावनाओं पर उन्होंने कहा यदि आप रीमेक बनाना चाहते हैं, तो हम आपकी मदद कर सकते हैं। इसमें समय लगेगा। इसके लिए कुछ कौशल की आवश्यकता होगी।

कांचीपुरम सिल्क साड़ी एक परंपरा और संस्कृति है

कई लोग कहते हैं कि कांचीपुरम सिल्क एक भावना है जो उत्साही लोगों को कुछ दशकों से कुछ पीढ़ियों तक समय, परंपरा और संस्कृति में वापस ले जाती है। इसलिए यदि आपके पास घर पर हाथ से बुनी हुई एक पुरानी रेशम साड़ी है, तो विशेषज्ञों का कहना है कि इसे संरक्षित करना और इसके पीछे की कहानी तलाशना उचित है।

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