सार
Akshaya Tritiya 2024: इस साल अक्षय तृतीया का पर्व 10 मई को मनाया जाएगा। इस दिन कोई भी शुभ काम कर सकते हैं और नई चीजों की खरीदा कर सकते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क. अक्षय तृतीया 2024(akshaya tritiya 2024) इस साल 10 मई को मनाया जाएगा। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित इस पर्व को लेकर भक्तों में उत्साह है। इस दिन कोई भी शुभ काम कर सकते हैं। घर खरीदने से लेकर गृह प्रवेश करने का काम कर सकते हैं।अक्षय तृतीया के दिन नई चीजों की खरीदारी शुभ मानी जाती है। ज्योतिषचार्य कहते हैं कि इस दिन कुछ खास उपाय करने से घर में धन दौलत की कमी नहीं होती है। आइए जानते हैं कुछ उपाय जिसके जरिए आप भी मां लक्ष्मी को अपने घर बुलाकर खुश कर सकते हैं।
जल भरा कलश दान करें
अक्षय तृतीया के दिन कलश में जल भरें। पूजा घर में इसे स्थापित करें। फिर मां लक्ष्मी का ध्यान करते हुए मंत्रों का जाप करें।देवी मां की पूजा अर्चना करने के बाद, इस कलश को लाल कपड़े में बांधकर किसी जरूरतमंद को दे दें।कलश में पानी भरकर दान करने से आर्थिक तंगी दूर होती है। भाग्य हमेशा चमकता है।
मुख्य दरवाजे पर वंदनवार लगाएं
अक्षय तृतीया के दिन अपने घर के मुख्य दरवाजे पर अशोक के पत्तों या फिर आम के पत्तों का वंदनवार लगाएं। इसे लगाते वक्त मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। इसे आप अपने ऑफिस या फिर दुकान पर भी लगा सकते हैं। इसके बाद आप मुख्य दरवाजे पर घी का दीया जलाएं। इससे घर में लक्ष्मी का वास होता है।
पौधा लगाएं
अक्षय तृतीया के दिन घर में पौधा लगाना भी शुभ माना गया है। घर के ईशाण कोण पर आप पौधा लगाते हैं तो धन की देवी खुश होती है। पीपल, आम, गुलर,बरगद,तुलसी, बेल, आंवला जैसे पेड़ आप लगा सकते हैं। ये आपके घर में पॉजिटिव एनर्जी भी लाते हैं।
सोना चांदी खरीदें
अक्षय तृतीया पर सोने-चांदी की चीजें खरीदने से जातक का भाग्योदय होता है। इसके अलावा मिट्टी का घड़ा, बर्तन, कौड़ी, जौं, पीली सरसों, दक्षिणावर्ती शंख, श्रीयंत्र या धनिया भी खरीदकर घर ला सकते हैं।
अक्षय तृतीया क्यों होता है खास
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत अक्षय तृतीया से ही हुई थी। भगवान विष्णु ने नर नारायण का अवतार भी इसी दिन लिया था। यह भी कहा जाता है कि भगवान परशुराम का जन्म भी इसी दिन हुआ था। भगवान गणेश ने महाभारत का काव्य भी इसी दिन लिखा शुरू किया था। तृतीया से ही बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं। वृंदावन में बांके-बिहारी जी के चरणों के दर्शन भी इसी दिन केवल कराया जाता है।
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