Balcony Garden Giloy Plant: अगर आपको घर में पौधे लगाना पसंद हैं तो इस एक बेल को जरूर घर में लगाएं। जरा से गमले में बहुत ही कम देखरेख में लग जाने वाला ये प्लांट बहुत सारे हेल्थ बेनिफिट्स देता है।
अगर आप अपने घर में ऐसा पौधा लगाना चाहते हैं जो दवा भी हो और इम्यूनिटी भी बढ़ाए तो गिलोय (Giloy/Tinospora Cordifolia) सबसे बेस्ट ऑप्शन है। नेचुरोपैथी, आयुर्वेद और योगिक साइंस में इसे अमृतवृक्ष कहा गया है, क्योंकि यह पूरे शरीर को अंदर से डिटॉक्स करके बीमारियों से लड़ने की ताकत बढ़ाता है। अच्छी बात यह है कि गिलोय को उगाने के लिए बड़े गार्डन की जरूरत नहीं, आप इसे बालकनी के एक छोटे पॉट में आसानी से ग्रो कर सकते हैं।
गिलोय क्यों माना जाता है अमृत?
गिलोय में एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटी-वायरल, एंटी-oxidant, एंटी-पायरेटिक (बुखार कम करने वाले) गुण पाए जाते हैं। इसी वजह से इसे नेचुरोपैथी में Nature’s Amrit कहा गया है। यह शरीर को प्यूरीफाई करता है और पुरानी थकान, त्वचा की समस्याएं, एलर्जी और पाचन संबंधी समस्याएं में भी फायदेमंद है।
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छोटे पॉट में गिलोय कैसे लगाएं?
- गिलोय बेल है, लेकिन इसे कंट्रोल करके छोटे बर्तन में उगाया जा सकता है।
- सबसे पहले 8–10 इंच का मिट्टी या प्लास्टिक पॉट लें, जिसमें नीचे ड्रेनेज होल जरूरी है।
- गिलोय को हल्की और well-drained मिट्टी पसंद है। इसमें 40% garden soil, 40% compost और 20% sand मिक्स करके भरें।
- आप स्टेम कटिंग से गिलोय लगाएं। 6–7 इंच की हेल्दी स्टेम काटें, नीचे का हिस्सा 1 घंटे पानी में रखें और फिर इसे मिट्टी में 2 इंच गहरा लगाएं।
- गिलोय बेल है, इसलिए इसे स्टिक, तार या छोटी लकड़ी देकर चढ़ाएं, ताकि यह बैलेंस में बढ़े।
- गिलोय को ब्राइट लाइट पसंद है, लेकिन तेज सीधी धूप नहीं। रोज 3–4 घंटे हल्की धूप मिलने से पौधा खूब फलता है।
- गिलोय को ज्यादा पानी नहीं चाहिए। सर्दियों में हफ्ते में 1–2 बार मिट्टी सूखी लगे तभी पानी डालें।
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गिलोय के हेल्थ बेनिफिट
- गिलोय रक्त को शुद्ध करता है और शरीर को वायरस-बैक्टीरिया से लड़ने की ऊर्जा देता है।
- यह बार-बार होने वाले बुखार में राहत देती है। डेंगू, वायरल, मलेरिया जैसे पायरेटिक बुखार में गिलोय का रस बेहद असरदार माना गया है।
- Digestion को मजबूत बनाता है। गिलोय गैस, कब्ज और एसिडिटी की समस्या को शांत करता है।
- स्किन को ग्लोइंग बनाता है। इसके एंटी-oxidant गुण त्वचा को अंदर से डिटॉक्स करते हैं, जिससे पिंपल्स और डलनेस कम होती है।
- शुगर लेवल को बैलेंस करने में मदद करती है। नेचुरोपैथी में इसे डायबिटीज के लिए सपोर्टिव हर्ब माना जाता है।
