सार
शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है, और इसे सही तरीके से करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। बहुत से लोग शारदीय नवरात्रि में दुर्गा पूजा के दौरान कलश स्थापना करते हैं, शास्त्रों में कलश स्थापना के बिना पूजा संपन्न नहीं मानी जाती है, तो वहीं कलश को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर पूजा जाता है। घर की खुशहाली, मां की कृपा और सुख समृद्धि के लिए कलश स्थापना कर रहे हैं, तो वास्तु शास्त्र के अनुसार, कलश स्थापना करते समय कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है। आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना से जुड़े कुछ वास्तु नियम:
कलश स्थापना के दौरान करें इन वास्तु नियमों का पालन
1. स्थान का चुनाव (Direction and Placement):
- कलश स्थापना हमेशा घर के पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में करनी चाहिए, क्योंकि ये दिशाएं सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं।
- यदि घर में पूजा कक्ष हो, तो वहाँ पूर्व दिशा की ओर मुख करके कलश स्थापित करें।
- कलश का स्थान साफ-सुथरा, पवित्र और शांतिपूर्ण होना चाहिए, जहां रोजाना 9 दिनों तक पूजा की जा सके।
2. मिट्टी और जौ का महत्व:
- कलश स्थापना के लिए एक पवित्र स्थान, बर्तन या बांस की टोकरी में मिट्टी बिछाकर उसमें जौ बोए जाते हैं। जौ को सुख-समृद्धि और तरक्की का प्रतीक माना गया है, इसलिए इसका अच्छे से उगना और पवित्र होना बहुत महत्वपूर्ण है। नौ दिनों तक इसमें भी मां दुर्गा का वास माना जाता है।
- जौ को नवरात्रि के 9 दिनों तक सिंचाई करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यह शुभ माना जाता है।
- जौ जितना अच्छे से उगता है और बढ़ता है, इसे उतना ही अच्छा और शुभ माना जाता है।
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3. कलश की सामग्री:
- कलश में शुद्ध जल भरें और उसमें आम के पत्ते, सुपारी, सिक्का और पीला अक्षत (चावल) डालें।
- कलश के ऊपर एक नारियल रखें, जो लाल कपड़े या मौली (पवित्र धागा) से लपेटा हुआ हो।
- कलश के नीचे एक स्वास्तिक बनाएं या कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
- कलश के गले को मोली धागा से बांध लें।
4. पूजा सामग्री का चयन:
- नवरात्रि पूजा के दौरान जिन सामग्रियों का उपयोग हो, वे सभी शुद्ध और ताजे होने चाहिए। इसमें फूल, फल, माला, धूप, दीपक और भोग सामग्री शामिल होती हैं।
- पूजा स्थल को साफ सुथरी और सजावटी रखें। पूजा स्थान में किसी भी तरह की गंदगी और अपवित्रता न होने दें।
5. कलश स्थापना का समय (Muhurat):
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त ज्योतिष गणनाओं के आधार पर निर्धारित होता है। इसे नवरात्रि के पहले दिन (प्रतिपदा) ब्रह्म मुहूर्त या शुभ मुहूर्त में किया जाता है। गलत समय पर कलश स्थापित करना शुभ नहीं माना जाता। इसलिए आप अपने पंडित जी या किसी ज्योतिष एक्सपर्ट से कलश स्थापना की सही मुहूर्त के बारे में पूछ लें।
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6. सकारात्मक ऊर्जा का महत्व:
- कलश स्थापना के दौरान मन में सकारात्मकता बनाए रखें और किसी भी प्रकार की नकारात्मक भावना से बचें।
- पूजा में परिवार के सभी सदस्य शामिल हों और एक-दूसरे के प्रति सद्भावना रखें।
- नवरात्रि के नौ दिनों तक किसी भी तरह के लड़ाई-झगड़े और कलह क्लेश से बचें।
7. कलश की दिशा का ध्यान
- कलश को किसी भी तरह से गंदगी या अव्यवस्था से दूर रखें। यह सुनिश्चित करें कि घर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
- वास्तु शास्त्र में ये नियम इसलिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं, ताकि कलश स्थापना के माध्यम से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो और मां दुर्गा की कृपा प्राप्त हो।
- चुकीं कलश और जौ को मां दुर्गा का स्वरूप माना गया है, इसलिए इसे किसी भी तरह से अपवित्रता, गंदगी और अशुद्धि से बचाएं।